Chamoli News

उत्तराखंड के इस गांव में शराब पर पूरी तरह रोक, नियम तोड़ने पर एक लाख का जुर्माना

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Chamoli Village Liquor Ban : Ghes Village Decision : Alcohol Ban in Uttarakhand : Gram Panchayat Resolution : जनपद चमोली के विकासखंड स्थित घेस गांव में सामाजिक अनुशासन को मजबूत करने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है। अब गांव में किसी भी मांगलिक या धार्मिक आयोजन में शराब पीने और पिलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। ग्राम पंचायत की बैठक में यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया….जिसके तहत नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।

ग्राम प्रधान देवकी देवी की अध्यक्षता में आयोजित ग्राम पंचायत की बैठक में महिला मंगल दल और युवक मंगल दल ने गांव में बढ़ते शराब के चलन पर गहरी चिंता जताई। ग्रामीणों का कहना था कि शराब के कारण पारिवारिक कलह और सामाजिक अशांति बढ़ रही है। इस पर पंचायत ने शराब बेचने और मांगलिक कार्यों में शराब के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया।

प्रस्ताव के अनुसार यदि कोई व्यक्ति शराब पीते या पिलाते हुए पकड़ा जाता है…तो उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही संबंधित व्यक्ति का बिजली कनेक्शन काटा जाएगा और उसे सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा। पंचायत ने यह भी तय किया कि नियमों का उल्लंघन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इसके अलावा गांव में सार्वजनिक स्थानों पर गाली-गलौज करने पर 50 हजार रुपये जुर्माना और बिजली कनेक्शन काटने का भी निर्णय लिया गया है। पंचायत ने इन सभी नियमों को सख्ती से लागू करने पर सहमति जताई।

बैठक में क्षेत्र पंचायत सदस्य लीला देवी, महिला मंगल दल अध्यक्ष खिला देवी युवक मंगल दल अध्यक्ष विपिन सिंह, उप प्रधान नंदन सिंह, मोहन सिंह, खगोती देवी, अनीता देवी, दीपा देवी, जानकी देवी, देवी सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

ग्रामीणों ने कहा कि इससे पहले भी चमोली जिले के देवाल विकासखंड के सैनिक बाहुल्य गांव सवाड़ में प्रधान आशा धपोला ने शराब पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद तलोर पदमला गांव की प्रधान जानकी देवी ने भी गांव में शराब बिक्री और धार्मिक व मांगलिक आयोजनों में शराब पर रोक लगाई थी।

क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह इलाका धार्मिक और पर्यटक स्थलों से जुड़ा हुआ है, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। ऐसे में शराब का बढ़ता कारोबार क्षेत्र में अशांति फैलाता है, इसलिए इस तरह के प्रतिबंध सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी हैं।

घेस गांव के इस फैसले को क्षेत्र में सामाजिक सुधार की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है….जिससे आने वाले समय में अन्य गांव भी प्रेरणा ले सकते हैं।

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