अल्मोड़ा जिले के गांव फपना (पोस्ट ऑफिस बज्वाड) के रहने वाले मयंक मनराल ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है। वर्तमान में गोलनाकरडिया में रहने वाले मयंक ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA, गया) से अपनी कड़ी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद यह उपलब्धि हासिल की है। मयंक की इस सफलता से न केवल उनके परिवार में बल्कि पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है। उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, और हर कोई उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहा है।
शिक्षा और कड़ी मेहनत से हासिल की सफलता
मयंक ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल से पूरी की, जहां से उन्हें अनुशासन और परिश्रम की सीख मिली। इसके बाद उन्होंने ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी, देहरादून से बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान ही उनके मन में भारतीय सेना में जाने की ललक थी, और उन्होंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए अथक मेहनत की।
परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाया
मयंक का परिवार पहले से ही भारतीय सेना से जुड़ा रहा है। उनके पिता महेंद्र सिंह मनराल भारतीय सेना की 16 कुमाऊँ रेजीमेंट से ऑनरी कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। बचपन से ही मयंक ने अपने पिता को अनुशासन और देशसेवा की भावना के साथ जीते देखा, जिससे उनके मन में भी सैन्य जीवन के प्रति आकर्षण बढ़ता गया। उनकी माता गीता मनराल एक गृहिणी हैं, जिन्होंने हमेशा अपने बेटे को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
परिवार में खुशी का माहौल, बहन और जीजा सॉफ्टवेयर इंजीनियर
मयंक की इस उपलब्धि से उनके परिवार में बेहद हर्षोल्लास का माहौल है। उनकी बहन रेनू मनराल और उनके पति अनिल मलारा दोनों ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और मयंक की सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं। पूरे परिवार के लिए यह एक गर्व का क्षण है, क्योंकि मयंक ने भारतीय सेना में अधिकारी बनकर न केवल अपने परिवार का, बल्कि पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया है।
मयंक ने माता-पिता और गुरुजनों को दिया सफलता का श्रेय
अपनी इस सफलता पर मयंक ने कहा कि “यह सब मेरे माता-पिता, गुरुजनों और परिवार के आशीर्वाद और समर्थन की बदौलत संभव हुआ है। उनके मार्गदर्शन और प्रेरणा ने मुझे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की ताकत दी।”
गांव और क्षेत्र में हर्षोल्लास
मयंक की इस बड़ी उपलब्धि के बाद से पूरे गांव और क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। आसपास के लोग और रिश्तेदार उन्हें बधाई देने उनके घर पहुंच रहे हैं। पूरे क्षेत्र में गर्व और हर्ष का वातावरण बना हुआ है, और लोग मयंक की सफलता को युवाओं के लिए एक प्रेरणा के रूप में देख रहे हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा बने मयंक
मयंक की इस सफलता से क्षेत्र के युवाओं को भी भारतीय सेना में जाने की प्रेरणा मिल रही है। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर मेहनत और लगन सच्ची हो, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी सफलता से यह संदेश मिलता है कि सपनों को पूरा करने के लिए अनुशासन, समर्पण और मेहनत जरूरी है।
