Loksabha Election 2024 Update: Mayawati Boarding Elections Alone:
राजनीती का रास्ता भले ही दावों, मुद्दों और वादों से तैयार होता हो पर सत्ता के दरवाजे हमेशा जनता के समर्थन से ही खुलते हैं। भारत में आज़ादी के बाद जितनी सरकार बनी उन सभी के बनने और गिरने के पीछे एक 80 लोकसभा सीटों वाला राज्य उत्तरप्रदेश रहा है। उत्तरप्रदेश की सियासी गलियों में जहाँ भाजपा दीपक जला रही है और कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से हाथ मिला रही है तो वहीं उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक बड़ा एलान कर दिया है जिसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को ज़रूर मिलेगा।
भारत की राजनीती में सबसे बड़ा बदलाव वर्ष 2014 में आया जब भाजपा को जनता ने बहुमत के साथ सत्ता की कमान सौंपी। वो बदलाव इतना बड़ा था कि कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के हाथों से अमेठी तक निकल गई थी। उत्तरप्रदेश में उस समय की सबसे मज़बूत स्थिति में समझी जा रही समाजवादी पार्टी के हिस्से में भी 80 में से मात्र 5 ही सीटें आई थी और मायावती की BSP के हिस्से में एक भी नहीं।
जिसके बाद इन दोनों दलों SP और BSP के बीच 2019 का चुनाव साथ में लड़ने की सहमति बनी। मायावती और अखिलेश के इस गठबंधन से चुनाव के नतीजों पर जो असर पड़ा उससे अखिलेश के हिस्से में 5 ही सीटें आई जिससे उन्हें ना फायदा हुआ और ना नुक्सान लेकिन मायावती ने 10 सीटों पर जीत हासिल की।
2024 लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव इस बार मायावती की जगह INDI एलायंस के साथ जुड़े हुए हैं। INDI एलायंस की पहली बैठक से ही अपना रुख साफ़ कर चुके अखिलेश के बाद कांग्रेस को मायावती का इंतज़ार था। पर अब लगता है कि जिस रस्ते पर कांग्रेस मायावती का इंतज़ार कर रही थी शायद उस रस्ते मायावती कभी जाना ही नहीं चाहती थी और यही कारण रहा कि उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
अब देखना यह है कि पिछले चुनाव में 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली BSP को इस निर्णय के बाद कितना फायदा होगा और INDI गठबंधन को कितना नुक्सान क्योंकि, भाजपा का इस निर्णय के बाद यही कहना है कि “मोदी और योगी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार जनता बहुमत देकर उन्हें ही चुनेगी”।