हल्द्वानी: रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया और 2 मई को अगली सुनवाई होगी। इस पर हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि रेलवे ने 2 माह का अतिरिक्त समय माँगा है। रेलवे के दस्तावेज पूरे नहीं थे जोकि हम पूर्व से ही कहते आ रहे हैं। रेलवे ने अपनी मन मानी से सीमांकन करके 78 एकड़ ज़मीन अपनी दर्शा दी। अगर असल में रेलवे की भूमि 78 एकड़ होती तो आज दस्तावेज़ो के साथ रेलवे सुप्रीम कोर्ट में आकर प्रमाणित करती।
अब ये साफ़ दर्शाता हैं की रेलवे ने हाई कोर्ट में झूठ बोला हैं और अब उस झूठ को बचाने के लिए रेलवे तारीख पे तारीख माँग रही हैं। इसके साथ राज्य सरकार ने भी रेलवे से दस्तावेज माँगे हैं, रेलवे उन दस्तावेज़ो को देने में असक्षम रही हैं। रेलवे के पास ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जिससे ये दिखता है की 78 एकड़ ज़मीन रेलवे की हैं।
हल्द्वानी विधायक ने कहा कि कई बार गौला में कटाव आने से रेलवे की पटरी स्थानांतरित हुई हैं जिसकी वजह से पूर्व में जो सीमांकन किया गया हैं और आगे भी सोचा जा रहा हैं वो भी ग़लत होने की पूरी आशंका हैं। सुप्रीम कोर्ट में बनभूलपुरा के लोगों का पक्ष रख रहे वकीलों ने अच्छी दलील पेश करते हुए कोर्ट को यह भी बताया की रेलवे दस्तावेज लेकर आ रही है लेकिन इतना समय माँग रही हैं उससे साफ़ प्रतीत हो रहा है कि रेलवे के काग़ज़ो में कमी है।