हल्द्वानी: नगर निगम का बुलडोजर अतिक्रमणकारियों पर बीते कई दिनों से चल रहा है। हल्द्वानी में इन दिनों अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर बवाल मचा हुआ है। हालत ये तक हो गई कि विरोध के चक्कर में विधायक सुमित हृदयेश को ही घर में नजरबंद कर दिया गया। अब इस मामले में हाईकोर्ट ने शासन व निगम से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि अतिक्रमणकारियों तो विस्थापित कहां किया जा सकता है।
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी मछली मार्केट से अतिक्रमण हटाने को लेकर दर्ज हुई याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार व निगम से छह हफ्तों में जवाब मांगा है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट को बताया कि 31 मार्च को ही अतिक्रमण हटाने हेतु नोटित दिया गया था। निगम और प्रशासन के द्वारा कहा गया था कि लाइसेंस दिखाने पर अतिक्रमण नहीं तोड़ा जाएगा।
उन्होंने बताया कि समय पर सबूत ना देने पर सरकारी भूमि से अतिक्रमण को हटा दिया गया। हल्द्वानी निवासी विजय पाल सिंह एवं अन्य ने याचिका दायर की। जिसमें उन्होंने कहा कि पिछले करीब आठ दशकों से वह यहां मार्केट में मीट का कारोबार कर रहे हैं। उनके पास निगम का लाइसेंस है। नगर पालिका होने के वक्त चोरगलिया व रामपुर रोड पर दो मीट मार्केट बनाई थी। तब निगम ने पक्की दुकानें बनाकर औरों को दे दी। जिसके बाद कारोबारियों को यहां शिफ्ट किया गया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह कई सालों से यहां मीट का कारोबार करते आ रहे हैं। निगम ने 31 मार्च को नोटिस देकर चार अप्रैल को अतिक्रमण हटाने के आदेश दे दिए। ऐसे में उन्हें समय नहीं दिया गया। इसलिए उन्होंने मांग करते हुए कहा कि विस्तापित होने के समय तक यहीं पर कारोबार करने की परमिशन दी जाए। गौरतलब है कि सचिव शहरी विकास, डीएम व एसएसपी नैनीताल, एसडीएम व एसएचओ हल्द्वानी को याचिका में पक्षकार बनाया गया है।