नैनीताल: अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर अब उत्तराखंड सरकार और याचिकाकर्ता ही आमने सामने हो गए हैं। एक तरफ सरकार ने याचिकाकर्ता पर क्राउड फंडिंग और आपराधिक मामले होने के आरोप लगाए तो वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार किसी वीआईपी को बचाने की कोशिश में है। अब हाईकोर्ट ने मृतका के माता-पिता से एसआइटी जांच को लेकर सवाल किया है।
गौरतलब है कि पौड़ी गढ़वाल के आशुतोष नेगी ने याचिका दायर कर कहा है कि पुलिस व एसआइटी ने मामले में काफी कुछ छिपाया है। शव मिलने के उपरांत रिजॉर्ट का कमरा तोड़ देना, पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना, बिना महिला चिकित्सक की उपस्थिति में मृतका का मेडिकल कराना नियमों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि मृतका के साथ दुराचार की बात पुलिस नहीं मान रही है।
बता दें कि वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने केस में सुनवाई की। साथ ही मृतका के माता-पिता को याचिका में पक्षकार बनाते हुए उनसे पूछा कि आपको एसआईटी की जांच पर क्यों संदेह हो रहा है। एसआईटी का कहना है कि ध्वस्तीकरण से पहले सबूत इकठ्ठे किए थे। हालांकि, जांच अधिकारी के जवाब से भी कोर्ट संतुष्ट नहीं है।
जांच अधिकारी की मानें तो मृतका के कमरे से एक बैग के अलावा कुछ नहीं मिला है। वहीं, सरकार का आरोप है कि याचिकाकर्ता आपराधिक मुकदमों में लिप्त है और क्राउड फंडिंग करा रहा है। मृतका के माता-पिता एसआईटी को लापरवाह बताते हुए सीबीआई से जांच कराए जाने के पक्ष में हैं। याचिकाकर्ता ने कहा है कि फैक्ट्री में आग लगने से लेकर डीएम का तबादला सबका मकसद किसी वीआईपी को बचाना है। बता दें कि कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 नवंबर की तिथि तय की है।