कालाढूंगी: रिश्तों पर धब्बा लगाने वाली तरह-तरह की खबरें सामने आती रहती हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जो कालाढूंगी से लेकर बिजनौर और कोलकाता को जोड़ता है। दरअसल कालाढूंगी निवासी मामा (Kaladhungi resident maternal uncle) ने पांच साल पहले बिजनौर निवासी भांजे को कह दिया था कि उसकी मां मर (uncle told the children that their mother is dead) गई है। युवक ने यह मान भी लिया। मगर ताज्जुब तब हुआ जब मालूम हुआ कि वह जिंदा हैं और कोलकाता में हैं।
वर्तमान में राजस्थान के भिवाड़ी (Bhiwadi, Rajasthan) में रह रहे कृष्ण गोपाल सिंह बताते हैं कि जुलाई 2015 में उनकी 68 वर्षीय मां रमा देवी नगीना के सैदपुर महीचंद गांव स्थित अपने पुश्तैनी घर से कालाढूंगी (नैनीताल) स्थित अपने भाई राजन मेहरा के घर पहुंची थीं। फरवरी 2016 में जब कृष्ण गोपाल के बड़े भाई राम गोपाल मां को लेने यहां आए तो मामा ने बताया कि मां का निधन को हो गया है।
विश्वास ना करते तो क्या करते, मामा की बात मानकर राम गोपाल घर लौट गए। मगर अब पांच साल के बाद मां का पता चल गया है। बच्चों के आंसु खुशी में तब तब्दील हो गए जब हैम रेडियो के वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब (Ham radio west bengal radio club) द्वारा उन्हें सूचना मिली कि उनकी मां जीवित है और बंगाल में एक सुधार गृह में है। कृष्ण गोपाल बुधवार को अपनी मां को लेने कोलकाता जा रहे हैं।
बता दें कि कृष्ण गोपाल के साथ हैम रेडियो की ओर से भी नैनीताल में रमा देवी के भाई के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी (preparation of case filing) की जा रही है। दिल यह जानकर दुखता है कि रमा देवी की मानसिक स्थिति (mental condition was not well) ठीक नहीं रहने के कारण रमा देवी को उनके भाई अपने घर में रखना नहीं चाहते थे। रमा देवी का आरोप है कि उनके भाई ने उन्हें काफी मारा-पीटा और उन्हें कोलकाता जाने वाली एक ट्रेन में बिठा दिया था।
कोलकाता पहुंचने के बाद महीनों तक रमा देवी सड़कों पर दर-दर की ठोकरें खाती रहीं। नवंबर 2016 में वहां की पुलिस (Kolkata Police Rama Devi) ने रमा देवी को लावारिस हालत में देखा तो निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के बाद उन्हें दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर के दोस्तीपुर स्थित एक होम (Diamond Harber home) में रखवा दिया। गौरतलब है कि पुलिस ने रमा देवी के घरवालों का पता लगाने का बहुत प्रयास किया लेकिन कुछ पता नहीं चल सका।
मगर तकदीर को मां-बेटों का मिलन मंजूर था। हुआ यह कि हैम रेडियो के वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश विश्वास नाग से संपर्क होने के बाद कड़ी मशक्कत की गई और रमा देवी के घर का पता लगा लिया तथा उनके पुत्रों को सूचना दी कि उनकी मां बंगाल में हैं। अब जल्दी ही मां अपने बेटों के पास होंगी। एक तरफ जहां भाई ने रिश्ते को कलंकित करने की कोशिश की वहीं भगवान ने बेटों को उनकी मां से मिला ही दिया।