नैनीताल: चुनावों की रोचकता इसके इतिहास और भविष्य के समीकरण पर नजर डालने से ही बढ़ती है। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैंm नैनीताल विधानसभा सीट पर होने वाले आगामी चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाले हैं। इसकी संभावनाएं प्रबल मानी जा रही हैं क्योंकि समीकरण ही कुछ ऐसे हैं।
दरअसल नैनीताल विधानसभा सीट पर एक बार फिर से सरिता आर्य और संजीव आर्य आमने-सामने होंगे। वो बात अलग है कि दोनों के बीच पार्टी की अदला बदली हो गई है। जहां कांग्रेस के टिकट पर नैनीताल की विधायक रही सरिता आर्या भाजपा में शामिल हो गई हैं, तो वहीं 2017 में भाजपा के टिकट पर नैनीताल के विधायक बने संजीव आर्य अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
बता दें कि साल 2012 में सरिता आर्य कांग्रेस के टिकट पर नैनीताल सीट से चुनाव लड़ी थीं। तब उन्होंने बीजेपी के हेम चंद्र आर्य को 6308 वोटों के मार्जिन से हराया था। इसके बाद साल 2017 में उन्हें फिर से कांग्रेस ने नैनीताल सीट से मैदान पर उतारा। मगर इस बार सरिता आर्य को भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ रहे संजीव आर्य के हाथों हार मिली। संजीव आर्य ने सरिता आर्य को 7247 वोटों से हरा दिया।
गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों में चुनावों के समीकरण बदल गए हैंm जहां बीते साल अक्टूबर में नैनीताल के विधायक संजीव आर्य ने अपने पिता व पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के साथ भाजपा छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा। वहीं संजीव आर्य को कांग्रेस से टिकट मिलने की संभावनाओं ने सरिता आर्य को भी भारतीय जनता पार्टी जॉइन करने पर मजबूर किया।
एक तरफ कांग्रेस पार्टी ने संजीव आर्य को नैनीताल सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी इस सीट पर सरिता आर्य को चुनाव लड़ाने का मन बनाया है। पिछली बार बीजेपी की तरफ से लड़े संजीव आर्य कांग्रेस की सरिता आर्य पर भारी पड़े थे। लेकिन इस बार कहानी पहले से अलग है। हालांकि चेहरे वही हैं, लेकिन पार्टियां बदल गई हैं। देखना दिलचस्प होगा कि नैनीताल में विजय 2017 में विजेता पार्टी की होती है या जीते हुए विधायक की।