परिंदों को मिलेगी मंज़िल एक दिन…यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं,
वही लोग रहते हैं खामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं..
नैनीताल के पोस्ट ज्योलिकोट में एक आईडिए ने कई महिलाओं के परिवारों को नई खुशियां दे दी हैं। ज्योलिकोट में बन रहे हैंडीक्राफ्ट प्रोडेक्ट्स वहां की महिलाओं की पहचान बन चुके हैं। यही नहीं ज्योलिकोट में बनने वाले ये प्रोडेक्ट्स बड़े स्तर पर अपनी धाक जमा रहे हैं। खास बात ये है कि ये प्रोडेक्ट्स गांव की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे हैं जिसकी मार्केट में काफी डिमांड हो रही है।
ज्योलिकोट गांव की महिलाओं के द्वारा बनाए जा रहे ये प्रोडेक्ट्स इसलिए भी खास है क्योंकि ये प्रोडेक्ट्स उत्तराखंड के पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट्स में नयापन संजोए हुए हैं जो आज के वक्त की मांग है। यही वजह भी है कि आज ये प्रोडेक्ट्स उत्तराखंड के हैंडीक्राफ्ट्स को नई पहचान दे रहे हैं। ज्योलिकोट की महिलाओं द्वारा जूट के बैग्स, कुशन कवर्स, फैबरिक ज्वैलरी के साथ कई और सिलाई-कढ़ाई के प्रोडेक्ट्स बनाए जा रहे हैं जिनकी चौतरफा मांग हो रही है।
कैसे आया ये अनूठा आईडिया?
सामाजिक कल्याण के मकसद को लेकर कर्तव्य कर्मा संगठन ने नैनीताल के पोस्ट ज्योलिकोट में पांच साल पहले दस्तक दी। शुरुआती मुश्किलों से उबरते हुए कर्तव्य कर्मा एनजीओ के संस्थापक गौरव अग्रवाल ने यहां के हालातों को परखा और फिर ज्योलिकोट निवासी पुष्कर जोशी और पवन बिष्ट के साथ मिलकर यहां की महिलाओं के लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया जिसका नाम ‘उद्योगिनी’ रखा गया। हालांकि शुरुआती चरण में गांव की महिलाओं के हुनर को तलाशने का ये काम आसान ज़रा भी नहीं था लेकिन धीरे-धीरे कर्तव्य कर्मा एनजीओ की टीम ने हर हाथ को काम देने की पहल की शुरुआत कर ही दी। कर्तव्य कर्मा ने अपने इस काम में गेठिया तल्ला निवानी रजनी को भी अपने साथ जोड़ा जिन्हें सिलाई आती थी। लेकिन उसी सिलाई ने नए आइडिया को जन्म दिया। और फिर ज्योलिकोट में सिलाई मशीनों की आवाज़ गूंजने लगी।
नई सोच ने बदला नज़रिया
कर्तव्य कर्मा के संस्थापक गौरव अग्रवाल को क्राफ्ट्स का शौक पहले से था लेकिन उनका ये शौक सामाजिक बदलाव लेकर आएगा इसका अंदाज़ा उन्हें खुद नहीं था। हल्द्वानी लाइव से बात करते हुए गौरव अग्रवाल ने कहा – ‘’ 15 साल की नौकरी के बाद कुछ नया करने का मन था। कंक्रीट के जंगल से निकलकर गांव की हरियाली में बसने का मन था लिहाजा समाज सेवा का मकसद लिए मैं इधर चला आया। यहां के लोग काफी हुनरमंद तो थे लेकिन उनके पास ना तो आइडिया था और ना ही कोई प्लेटफॉर्म। लिहाज़ा मैंने ठान लिया कि यहां से कुछ अलग और नया किया जा सकता है।’’
कर्तव्य कर्मा एनजीओ से करीब 25-30 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। महिला सशक्तीकरण को लेकर काम कर रही ये संस्था अब महिलाओं के हुनर को आहिस्ता-आहिस्ता बाहर निकाल रही है। हाल में हुई फैबरिक वर्कशॉप के जरिए यहां की महिलाओं ने कपड़े की ज्वैलरी बनाने की ट्रेनिंग ली है। जिसके बाद अब महिलाओं द्वारा ज्वैलरी बनाने का काम भी जल्द शुरु होगा। ‘प्रोजेक्ट उद्योगिनी’ सिर्फ हैंडीक्राफ्ट तक ही सीमित नहीं है।इस प्रोजक्ट में हैंडीक्राफ्ट्स के अलावा बुनाई का काम भी होता है और जल्द ही इन महिलाओं द्वारा बनाए गए मसाले और शहद भी बाजार में उपलब्ध होंगे। खास बात ये है कि इस प्रोजेक्ट के लिए कर्तव्य कर्मा संगठन को किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं ली बल्कि ये एक मिशन के ज़रिए महिलाओं की मदद करते हैं जिसका नाम है – Aid Through Trade यानी महिलाओं द्वारा बनाए गए सामानों की बिक्री से ही समाज में बदलाव लाना इस संस्था का मकसद है। यानी आप भी ज्योलिकोट की महिलाओं द्वारा बनाए गए सामानों की खरीद फरोख्त से इस समाज सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं।