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निर्भया को मिलेगा इंसाफ: तीनों दोषियों को होगी फांसी, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ठुकराई


नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ‘निर्भया’ सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में चार दोषियों में से तीन की पुनर्विचार याचिका आज खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीनों की मौत की सजा बरकरार रखी है. चौथे आरोपी ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने मुकेश (29), पवन गुप्ता (22) और विनय शर्मा की याचिकाओं पर आज फैसला सुनाते हुए इनकी मौ की सजा बरकरार रखी है.

निचली अदालत, हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के चारों बलात्कारी और हत्यारें को फाँसी की सजा सुनाई थी. विनय, मुकेश और पवन की ओर से वकीलों ने दलील दी थी कि दोषियों की पृष्ठभूमि और सामाजिक व आर्थिक हालात को देखते हुए उनकी सजा कम की जाए और कहा कि 115 देशों ने मौत की सजा को खत्म कर दिया है. सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं. सजा-ए-मौत सिर्फ अपराधी को खत्म करती है, अपराध को नहीं. मौत की सजा जीने के अधिकार को छीन लेती है. यह मामला दुर्लभतम से दुर्लभ अपराध की श्रेणी में नहीं आता.

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साथ ही दलील दी कि इस केस में एक ही मुख्य गवाह है, जिसके बयान पर और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर किसी को मौत की सजा नहीं दी जा सकती. चौथे अपराधी अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट से मिली फाँसी की सजा के ख़िलाफ़ अन्य तीन दोषियों के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की, अक्षय का कहना है कि उसे जो भी सजा मिले वह उसे क़बूल है.

छह साल पहले हुए इस गैंगरेप ने राजधानी दिल्ली के साथ साथ पूरे देश को हिला दिया था. इस मामले में एक नाबालिग आरोपी को छोड़ा जा चुका है. इस फैसले से पहले निर्भया के मां बाप ने कहा था कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उन्हें इस मामले में न्याय मिलेगा. फैसले के बाद निर्भया के पिता ने कहा, सरकार से हमारी मांग है कि दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए. गौरतलब है कि छह साल पहले दिल्ली के मुनीरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया. इसके बाद दरिंदगी की वो सारी हदें पार गए, जिसे देखकर कोई दरिंदा भी दहशत में आ जाए. वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था. दोषियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी. इसके बाद युवती और दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था.

आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था. उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया. उसे तीन साल सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया.

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