नई दिल्ली: शिक्षा एक वरदान है जो समाज को आगें और विकास के मार्ग पर ले जाने का काम करती है। तभी तो आगें बढ़ने के लिए शिक्षा का रोल काफी बढ़ गया है। शिक्षा ही हमें स्वच्छ माइंड के साथ कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करती है। एक ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश से सामने आया है, जहां एक आईपीएस ने अपनी बेटी दाखिला प्ले ग्रुप में छोड़कर आंगनबाड़ी में कराया है।
आईपीएस गाजीपुर (उ.प्र.) के पुलिस अधीक्षक डॉ यशवीर सिंह ने अपनी दो साल की मासूम बेटी अंबावीर का शहर से जुड़े विशेश्वरगंज स्थित मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र में दाखिला कराया है। सोशल मीडिया पर इस खबर के सामने आने के बाद उनकी खूब तारीफ हो रही है। बच्चों की शिक्षा के लिए लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों अथवा आंगनवाड़ी केंद्रों में भेजने से कतराते हैं, वही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के अब तक तीन ऐसे प्रशासनिक अधिकारी अपने बच्चों को आंगनवाड़ी भेज चुके हैं।
पुलिस अधीक्षक डॉ यशवीर सिंह ने अपनी दो वर्षीय बिटिया को आंगनबाड़ी केंद्र में भेजकर पूरे प्रदेश में एक और मिसाल कायम की है। इसके अलावा उनकी बेटी ने अपनी मां के साथ कल पहले दिन स्कूल पहुंची अंबावीर ने सामान्य बच्चों के साथ मिड-डे का खाना भी खाया। डा. यशवीर सिंह कहते हैं कि अम्बावीर अब नियमित आंगनबाड़ी केंद्र जाएगी और सामान्य बच्चों संग पढ़ाई करने के साथ पुष्टाहार भी वहीं ग्रहण करेगी।
आम से लेकर खास आदमी तक अंग्रेजी माध्यम के पब्लिक स्कूलों पर फिदा है। ज्यादातर लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में डालने की होड़ लगाए हुए हैं। इसके लिए वह कितना भी खर्च करने को तैयार हैं। अगर बात की जाए सरकारी अफसरों की तो उनके लाडले महंगे से महंगे स्कूलों में जाते हैं। ऐसे में पुलिस अधीक्षक के इस फैसले ने सभी को सोचने पर मजबूर किया है कि विकास हमारे कदम से होता है ना की दिखावे से। डॉ यशवीर सिंह अपने इस कदम के पीछे पत्नी को श्रैय दिया। उन्होंने कहा कि हम भी सरकारी स्कूल में ही पढ़े-लिखे हैं। अगर सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ने लगें तो निश्चित रूप से शिक्षा व्यवस्था सुधरेगी।