नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने बुधवार को तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामे और राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो सका था। मोदी कैबिनेट ने इस बिल में तीन संशोधन किए गए है, जिसमें ज़मानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाज़त से समझौते का प्रावधन भी होगा। अब इस बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।
आपको बता दें कि ये अध्यादेश 6 महीने तक लागू रहेगा, जिसके बाद सरकार को दोबारा इसे बिल के तौर पर पास करवाने के लिए संसद में पेश करना होगा। इस दौरान सरकार को इसे संसद से पारित कराना होगा सरकार के पास शीत सत्र में ही इस बिल को पास कराना होगा।
आपको बता दें, लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। कांग्रेस ने संसद में कहा था कि इस बिल के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार के इस फैसले पर यूपी में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि महिलाओं की जीत हुई है। रिजवी ने कहा कि महिलाओं ने कट्टरपंथी तबके से टकराते हुए मामले को समाज में लाने काम किया और सुप्रीम कोर्ट तक गईं। कट्टरपंथी समाज के खिलाफ हिंदू और मुस्लिम समाज समेत सभी लोग पीड़ित महिलाओं के साथ हैं। रिजवी ने कहा कि अब हम परिवार में लड़कियों की हिस्सेदारी के लिए भी आगे लड़ाई लड़ेंगे।
तीन तलाक़ बिल पर किए है संशोधन
पहला संशोधन
पहले का प्रावधान
इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी।
संशोधन
अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा
दूसरा संशोधन
पहले का प्रावधान
पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी.
संशोधन
मजिस्ट्रेट को ज़मानत देने का अधिकार होगा.
तीसरा संशोधन
पहले का प्रावधान
पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था।
संशोधन
मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा