नई दिल्ली: शुक्रवार को पूरे देश की नजर चंद्रयान-2 पर लगी हुई थी। पूरा भारतवर्ष नई कामयाबी के जश्न की तैयारी कर रहा था लेकिन मंजिल तक पहुंचने से पहले एक झटका लगा। चंद्रयान-2 का चांद पर उतरने से पहले ही संपर्क टूट गया। वैज्ञानिक परेशान हो गए लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुश्किल वक्त पर अपने वैज्ञानिकों के साथ खड़े हुए। उन्होंने इसरो के कंट्रोल सेंटर से देश को भी संबोधित किया। बता दें कि भारत के चंद्र मिशन को शनिवार तड़के उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया। अभी इसरो आंकड़ों का इंतजार कर रहा है। चांद से ठीक पहले चंद्रयान का संपर्क टूटने से वैज्ञानिकों के चेहरों पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं।
978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का भविष्य अंधेरे में झूल गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने संपर्क टूटने की घोषणा करते हुए कहा कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले तक लैंडर का प्रदर्शन योजना के अनुरूप था। शनिवार तड़के लगभग 1.38 बजे जब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 1,471 किलोग्राम का विक्रम चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब सबकुछ ठीक था।इसरो ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “यह मिशन कंट्रोल सेंटर है। विक्रम लैंडर योजना अनुरूप उतर रहा था और गंतव्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका प्रदर्शन सामान्य था।उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया।डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।” इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने निर्धारित रास्ते से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूट गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रयास किया है और कामयाबी भी होंगे। हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम का लोहा पूरा विश्व मानता है तो कामयाबी ज्यादा वक्त तक हमसे दूर नहीं हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह प्रयास व्यर्थ नहीं जाएगा। हम कुछ नया सिखेंगे और कुछ नए अविष्कार की ओर कदम भी बढ़ाएंगे। उन्होंने विज्ञान को सबसे बड़ा शिक्षक करार दिया। विज्ञान के शब्दकोष में विफलता नाम का शब्द नहीं है, यहां केवल प्रयास और प्रयोग होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों के परिवार को भी सलाम किया। उन्होंने कहा कि हम असफल हो सकते हैं लेकिन रुक नहीं सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर भारत का झंडा फहराया था। ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था।
हमारे चंद्रयान ने दुनिया को चांद पर पानी होने की अहम जानकारी दी। विज्ञान के दम पर ही हम नए अविष्कार करने का प्रयास करते हैं। चंद्रयान-2 के अंतिम पड़ाव का परिणाम हमारी आशा के अनुसार नहीं रहा, लेकिन पूरी यात्रा शानदार रही है और पूरा देश आप लोगों के साथ हैं। आप सब महान प्रोफेशनल हैं जिन्होंने देश की प्रगति के लिए संपूर्ण जीवन दिया और देश को मुस्कुराने और गर्व करने के कई मौके दिए है। आप लोग मक्खन पर लकीर करने वाले लोग नहीं हैं पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं। मैं आप लोगों की स्थिति को समझता हूं। आंखे सभी कुछ बयां करती है। चंद्रयान-2 को चांद में पहुंचाने के लिए आप लोग ना जाने की कितनी रातों तक सोए नहीं होगे। फिर भी मेरा मन करता था, कि एक बार सुबह आपको फिर से बुलाऊं। आपसे बातें करूं। इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्यक्ति अलग ही अवस्था में था, बहुत से सवाल थे। बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते गए। अचानक सबकुछ नजर आना बंद हो गया है। मैंने भी उस पल को आपके साथ जिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज चंद्रमा को छूने की हमारी इच्छाशक्ति और दृढ़ हुई है उसके पीछे आप लोगों की ही मेहनत है।