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कुंभ से पहले प्रयागराज में उठी राम मंदिर की मांग, पोस्टर के जरिए मोदी के खिलाफ उठी आवाज


नई दिल्लीः अर्धकुंभ के साथ ही राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है। जहां एक तरफ अब देश की नजरें 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रयागराज में संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संत समाज ने कुंभ में मोदी के खिलाफ होर्डिंग लगाए हैं। जिसमें राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार को चेतावनी दी गई है।
कुंभ की शुरुआत होने के बाद 31 जनवरी को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा प्रयागराज में ही धर्म संसद बुलाई गई है। विश्व हिंदू परिषद की ओर से प्रयागराज में बुलाई गई धर्म संसद में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा हो सकती है। केंद्र में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आए 4 साल 7 महीने के दौरान राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से प्रयागराज में साधु संतों ने बीजेपी के खिलाफ अपनी नाराजगी सरेआम जाहिर की है।
संतों ने यहां तक कह दिया कि अगर 2019 में मंदिर नहीं तो 2019 में मोदी भी नहीं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में दिए गए इंटरव्यू में अध्यादेश लाए जाने से इंकार किए जाने के बाद संत समाज ने भी मोदी सरकार से नाराजगी जताते हुए प्रधानमंत्री का विरोध किया।
प्रयागराज में संगम किनारे राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ी संख्या में पोस्टर दिखाई पड़ रहे हैं। महंत नरेंद्र आचार्य की ओर से लगाए गए इन पोस्टरों में अलग-अलग नारे लिखे गए हैं, जिसमें राम मंदिर निर्माण के लिए गुहार लगाई जा रही है। यह माना जा रहा है कि इस बार कुंभ मेले में राम मंदिर का मसला हावी रहेगा और साथ ही 2019 के चुनावों की एक भूमिका भी इसी कुंभ मेले के जरिए रची जाएगी।
कुंभ में शामिल होने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से लाखों की संख्या में संत प्रयागराज पहुंच रहे हैं। 14 जनवरी से कुंभ की विधिवत शुरुआत होने वाली है, लेकिन इसके पहले ही संगमनगरी सियासी अखाड़े में तब्दील हो गई है। संतों के बीच राम मंदिर मुद्दे को लेकर सुगबुगाहट तेज होने लगी है। संतों ने बीजेपी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है।

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