नई दिल्ली: लड़कियों को लेकर हमारे देश में पुरानी धारणा अभी भी मौजूद है। कई लोगों की सोच है कि उन्हें पढ़ाने के बजाए शादी करवा देनी चाहिए। ससुराल ही उनका असली घर होता है। कई बेटियों ने अपनी कामयाबी से इस धारणा को बदलने की कोशिश की है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह सोच अभी भी कायम हैं। लोग लड़कियों को पढ़ाने के पक्ष में कम हैं। एक ही ऐसी ही बेटी की कहानी हम आपकों बताने जा रहे हैं। परिवार वाले बेटी पर शादी का दवाब बना रहे थे। उसने तंग होकर घर छोड़ दिया और PCS अधिकारी बन अपनी काबिलियत दिखाई। 28 साल की संजू रानी वर्मा ने बचपन से सिविल सर्विसेस में सफल होने का सपना देखा था।
2013 में संजू की मां के गुजर जाने के बाद उन पर भी शादी का दबाव बनाया जाने लगा। उन्हें लगा कि अगर वह घर पर रहेंगी तो उनकी शादी कर दी जाएगी। ऐसे तो वह अपना सपना पूरा नहीं कर पाएंगी। इसी वजह से उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया। संजू का परिवार लड़कियों की पढ़ाई को महत्व नहीं देता था। इसी सोच की वजह से उनकी बड़ी बहन की शादी इंटर पास करने के बाद ही कर दी गई थी। जैसे ही उन्होंने इंटर पास किया तो घरवाले संजू को भी आगे पढ़ने से मना करने लगे।
पीसीएस अधिकारी बनने के बाद संजू वर्मा कहती है कि मुझे समाज द्वारा लड़कियों के लिए बनाया गया ये दबाव कभी समझ में नहीं आता। लोग कहते हैं लड़कियों को पढ़ाओ मत, बड़े होते ही शादी कर दो। क्या ये सही है….. मेरे घर छोड़ने के फैसले से परिवार के सभी लोग नाराज थे। अब मेरे पीसीएस ऑफिसर बनने से अब ये लोग खुश हैं। मैं जानती हूं कि परिवार के प्रति मेरी क्या जिम्मेदारी है। अब मैं अपने परिवार को हर तरह से सपोर्ट करूंगी। संजू वर्मा ने मेरठ के आर डी डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। फिर उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद परिवार वाले संजू को अपनी फैमिली लाइफ या करियर में से किसी एक को चुनने पर मजबूर किया। उन्होंने अपने करियर को चुना और घर छोड़ दिया। घर छोड़ने के बाद संजू को अपना खर्चा भी चलाना था और तैयारी भी करनी थी। संजू ने कभी ट्यूशन पढ़ाई तो कभी प्रायवेट जॉब की। कुछ ही दिन पहले संजू ने पब्लिक सर्विस कमिशन एग्जाम क्लियर की है। अब संजू का लक्ष्य आईएएस परीक्षा उत्तीर्ण करना हैं। वे चाहती हैं कि एक दिन वे मेरठ में ही कलेक्टर बनें।