भारत लॉकडाउन को पीछे छोड़ते हुए अनलॉक की ओर बढ़ चला है। धीर-धीरे नियमों के साथ जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है। कुछ संस्थानें अभी भी बंद हैं और उन्हें कैसे खोला जाएगा, इसके लिए प्लान बनाया जा रहा है। 22 मार्च को जनता CURFEW के बाद से ही देश बंद किया गया था। इसके बाद 24 मार्च से लेकर 31 मई तक चार लॉकडाउन को लागू किया गया था।
लॉकडाउन का सबसे बड़ा असर बच्चों की पढ़ाई में भी। ना स्कूल खुले और ना ही कॉलजे खुले… पढ़ाई में हो रहे नुकसान को कम करने के लिए ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है। स्कूल खुलने को लेकर तमाम बातें सामने आ रही थी लेकिन कुछ दिन पहले मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने इस दिशा में अहम संकेत दिए हैं। डॉ. निशंक ने कहा कि कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं और अभी स्कूल खुलने की संभावना नहीं है। देशभर के स्कूल 15 अगस्त के बाद ही खोले जाएंगे। जब बदले माहौल में स्कूल खुलेंगे, तो पढ़ने-पढ़ाने का तरीक़ा बदल जाएगा। पढ़ाई के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग भी उतनी ही महत्वपूर्ण होगी।
बता दें कि 24 मार्च 2020 को भारत में कोरोना के कारण पहले लॉकडॉउन की घोषणा की गई। लॉकडाउन के बाद अनलॉक का पहला चरण शुरू हो गया है। बाजार खुलने लगे हैं। परिवहन सेवाएं शुरू हो गई हैं, लेकिन एक बड़ा सवाल अब भी बाकी है। ये सवाल शिक्षा और शिक्षा के अधिकार से जुड़ा है। हर कोई यही जानना चाहता है कि स्कूल कब खुलेंगे और इसका जवाब अब उन्हें मिल गया है।
मानव संसाधन मंत्री ने एक इंटरव्यू में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि कि जब तक बच्चे स्कूल नहीं पहुँच रहे हैं, तब तक ऑनलाइन क्लास के ज़रिए उनके स्कूल घर तक पहुँच गए हैं। क्या ई-लर्निंग क्लास रूम का विकल्प हो सकता है? इस सवाल पर मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि इसके अलावा फ़िलहाल कोई और विकल्प नहीं है, छात्रों की पढ़ाई बिल्कुल नहीं हो पाती। उससे बेहतर है कि घर बैठे-बैठे उन्हें पढ़ने का मौक़ा मिल रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे शिक्षा मंत्रालय ने घरो पर बच्चों को एक साथ ऑनलाइन शिक्षा देने की कोशिश की है। हमने बच्चों को निराश नहीं होने दिया है, अभिभावकों को परेशान नहीं होने दिया है।आज अध्यापक और अभिभावक दोनों मिलकर बच्चों को सँवार रहे हैं।”