नई दिल्ली: इस हफ्ते दिल्ली में हुए दंगों में अब तक लगभग 40 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 300 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इंटरनेट पर साझा की गई अब तक की तस्वीरों और वीडियो ने पुलिस की भूमिका को कटघरे में ला खड़ा किया है। दंगे रोकने को लेकर पुलिस प्रशासन और सरकार की भूमिका पर कई सवाल उठे हैं परंतु इस बारे में ठोस तरीके से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। हाशिमपुरा नरसंहार और सांप्रदायिक दंगों पर किताब लिखने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय की किताबों की पंक्तियाँ और पुराने बयान दिल्ली दंगों को लेकर काफ़ी चर्चा में हैं।
पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर थे। उनके स्वागत की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी और अहमदाबाद से लेकर दिल्ली तक उनके स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। लेकिन इस दौरान दिल्ली में अनेक जगहों पर लोग सड़कों पर उतर आए और सभी को निशाना बनाने लगे। सैकड़ों दुकानों एवं वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और कई घर और सार्वजनिक स्थल भी दंगाइयों का शिकार बने।
2011 में भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर्ड अफसर विभूति नारायण राय ने 1995 में कहा था की “किसी भी देश के राज्य या शहर में दंगे 24 घंटे से ज्यादा नहीं चल सकते जब तक कि उसमें पुलिस प्रशासन की मर्जी शामिल ना हो”। कई अखबारों एवं डिजिटल प्लेटफार्म पर दिए गए बयानों से पता चलता है की विभूति नारायण राय दिल्ली हिंसा के लिए भी बहुत हद तक पुलिस प्रशासन की नाकामी को जिम्मेदार मानते हैं। विभूति नारायण ने कहा कि जिस दिन शाहीन बाग में धरना शुरू हुआ पुलिस को तभी से कुछ कदम उठाने चाहिए थे लेकिन वह नहीं उठाए गए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी माहौल को सांप्रदायिक बनाना चाहती थी ।