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चुनावों से पहले पलायन ने बढ़ाई चिंता, नैनीताल जिले के 19 गांवों में नहीं मिला एक भी वोटर

Photo - Quint Hindi

नैनीताल: पलायन का दर्द वो गांव अच्छे से समझते हैं जहां पहले चहल पहल रहती थी। खेतों में काम होता था, बच्चे खेलते थे। लेकिन उत्तराखंड के कई गांव ऐसे हैं जहां ये खेत जंगल बन गए हैं और गांव वीरान हो गए हैं। हो ना हो, पलायन का असर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ने वाला है। निर्वाचन आयोग को नैनीताल जिले में ही करीब 19 गांव ऐसे मिले हैं जहां कोई वोटर ही नहीं है।

चुनावों से पहले जिला निर्वाचन आयोग ने जिले में वोटरों की संख्या आंकनी शुरू की तो उनको एक चौंकाने वाला पहलू भी दिखा। आयोग को जिले में 19 गांव ऐसे मिले जो वीरान हो गए हैं। इन गांवों में एक भी मतदाता नहीं है। उत्तराखंड में सरकारें आती हैं, जाती हैं मगर पलायन की प्रथा रुकने का नाम नहीं लेती। बता दें कि इन गांवों से कोई रोजगार तो कोई अन्य कारणों से शहर का रुख कर चुका है।

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कुछ ही गांव हैं जहां खेती हो रही है। वरना अन्य में जंगल उग आए हैं। बहरहाल जिला निर्वाचन विभाग ने अब इन्हें गैर आबादी गांव घोषित किया है। उपजिला निर्वाचन अधिकारी अशोक जोशी ने जानकारी दी और बताया कि नैनीताल जिले के 19 गांवों में कोई भी व्यक्ति नहीं रहता है। इनमें से कुछ गांवों में खेती होती है तो बाकी के कुछ गांव वीरान पड़े हैं।

तहसील : गैर आबादी गांव

कालाढूंगी: शिवलालपुर पांडे
रामनगर: लालढांग खाम, लालढांग बंदोबस्ती
हल्द्वानी: मुखानी खड़कू, चोरगलिया जोस्यूडा
लालकुआं: हरिपुर सिंह मदन सिंह
नैनीताल : कभणा, गैराणी
धारी/खनस्यू: ब्यूरा
कोश्याकुटोली: बजेरा, धनियाखान मल्ला, खलेजर, भगुडा, सिमलखां, नैनीचक
बेतालघाट: खैराली चकपातल, राजसेरा, ओडाडागर, रौलिय लग्गा नैनीचक, हल्सो लग्गा बोरोसीर

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