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देवभूमि की कमला थापा ने 37 सालों तक की जनसेवा, दिवंगत नर्स को राष्ट्रपति ने दिया सम्मान

देवभूमि की कमला थापा ने 37 सालों तक की जनसेवा, दिवंगत नर्स को राष्ट्रपति ने दिया सम्मान

देहरादून: हर बुरा वक्त कोई नो कोई बड़ी सीख जरूर देकर जाता है। कोरोना काल ने हमें ये बताया है कि समाज में डॉक्टर्स, नर्सेज व तमाम सहयोगियों की भूमिका कितनी अहम है। ये सब सम्मान के पात्र हैं। इसी कड़ी में 37 सालों तक मरीजों की सेवा में जुटे रहने वाली देहरादून की नर्स कमला थापा को मरणोपरांत प्रतिष्ठित फ्लोरेंस नाइटेंगल अवार्ड से नवाजा गया है।

गौरतलब है कि नर्स की ड्यूटी करना कोई आम बात नहीं है। मरीजों की सेवा में जुटे रहने के साथ साथ अपने परिवार के लिए जिम्मेदारियां निभाना एक मुश्किल काम है। देहरादून की नर्स कमला थापा ने इस मुश्किल जिम्मेदारी को अपनी दृढ़ शक्ति के बल पर 37 सालों तक निभाया है। अब कमला थापा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक वर्चुअल समारोह में मरणोपरांत अवार्ड से नवाजा है। जिसे उनके स्वजनों ने रिसीव किया।

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बता दें कि दून अस्पताल में 27 साल तक सेवा कार्य करने के बाद नर्स कमला थापा ने दस साल मेला अस्पताल हरिद्वार में भी काम किया। वर्ष 2011 में सेवानिवृत्ति होने के बाद भी वह हमेशा जनसेवा कार्यों में जुटी रही। अपनी पूरे सेवा काल में कमला थापा ने खासकर अस्पताल में आने वाले लावारिस व अनाथों की सेवा की।

सिर्फ सेवा ही नहीं किसी की आर्थिक रूप से मदद करने में भी वह कभी पीछे नहीं हटीं। अस्पताल में तैनाती के दिनों में उन्होंने अधिकांश ड्यूटी बर्न व टीबी वार्ड में की थी। कोरोना काल में भी कमला थापा ने लोगों की हिम्मत बांधने का काम किया। लेकिन इसी कोरोना वायरस ने कमला थापा की सांसों को रोक दिया।

बीते साल कमला थापा का निधन हो गया। हालांकि उन्होंने काफी दिनों तक वायरस का मुकाबला किया था। अब उनके सेवा कार्यों के लिए उन्हें मरणोपरांत प्रतिष्ठित फ्लोरेंस नाइटेंगल पुरस्कार मिला है। बता दें कि उनका बेटा दीपक थापा मर्चेंट नेवी में तैनात है जबकि बेटी दीप्ति रौतेला नेहरू कालोनी में रहती हैं। इस मौके पर बेटी ने कहा कि मां ने हमेशा गरीब-बेसहारा लोगों की मदद की। अच्छे कामों की ही बदौलत आज उन्हें इस सम्मान के रूप में फल मिला है।

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