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गौलापार के पंकज जोशी बनें भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट, ट्यूशन पढ़ाने को बनाया कामयाबी का मंत्र

Pankaj Joshi: Indian Army: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के एक छोटे से गांव देवली में जन्मे पंकज जोशी ने अपने मेहनत और संकल्प से एक ऐसी कहानी रच दी है, जो प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। वर्तमान में हल्द्वानी के गौलापार बागजाला क्षेत्र में रहने वाले पंकज अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुके हैं। देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड के साथ ही उनका यह सपना साकार हुआ।

पंकज की पढ़ाई का सफर भी उतना ही प्रेरणादायक रहा जितना उनका सैन्य करियर। इंटरमीडिएट में उत्तराखंड बोर्ड की वरीयता सूची में स्थान पाने के बाद उन्होंने हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज से बीएससी में दाखिला लिया। परिवार की आर्थिक स्थिति सीमित थी, लेकिन उन्होंने कभी इसे अपनी राह की बाधा नहीं बनने दिया। खुद पढ़ाई का खर्च निकालने और परीक्षा देने के लिए अलग-अलग शहरों में जाने की जरूरत थी। इसके लिए उन्होंने घर में ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया।

धीरे-धीरे पंकज के पढ़ाने की शैली और ईमानदारी से प्रभावित होकर बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। लेकिन पंकज की सोच हमेशा से सेवा और अभ्यास की रही। ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों को पंकज ने कभी फीस के लिए नहीं कहा था। पंकज का मानना था कि ट्यूशन पढ़ाने की से उनका अभ्यास हो रहा है। उन्होंने पैसों से ज्यादा अभ्यास को महत्वता दी।

ऐसी सादगी और सेवा भाव रखने वाले पंकज जोशी पहले नौसेना में चयनित हुए, लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा। इसके बाद वायुसेना में भी चयन हुआ और कुछ महीने उन्होंने प्रशिक्षण भी लिया। लेकिन अंततः उन्होंने थल सेना को अपना कर्मभूमि बनाया – एक लेफ्टिनेंट के रूप में। कोरोना काल की कठिन परिस्थितियों में भी पंकज ने कभी हिम्मत नहीं हारी। परीक्षा देने के लिए दौड़-भाग, सीमित संसाधन और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने कभी लक्ष्य से मुंह नहीं मोड़ा। पंकज जोशी की यह कहानी इस बात की मिसाल है कि अगर इरादे सच्चे हों और सोच में सेवा का भाव हो, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं।

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