देहरादून: वीरता की कहानी और घटनाएं हम सभी के सामने अक्सर आती है। उनकी कहानी लोगों को प्रेरणा देती है युवाओं के लिए एक मार्ग बनती है। वैसी ही घटनाओं के कारण वीरता का टैग अपने नाम के साथ लगाने वाले कई युवाओं का जन्म उत्तराखण्ड में हुआ है। जिस भूमि में देवों का जन्म हुआ वही पर वीर कहानी स्वर्णिम शब्दों में दर्ज हो जाती है। राज्य के कई वीरों को अपनी बहादूरी के लिए वीरता का सम्मान भी मिल चुका है।
इस साल उत्तराखण्ड के पंकज को देश का सर्वोच्च बाल सम्मान “राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार” प्रदान किया। ये सम्मान उन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मान दिया। टिहरी के पंकज सेमवाल ने अपनी बहादुरी से अपनी मां की जान बचाई। मां अपने बच्चों को जन्म देती है लेकिन यहां पर पंकज ने अपनी मां को नया जीवन दिया है। ये कहानी लोगों को भावुक भी कर रही है।
बता दें कि 10 जुलाई 2016 की रात पंकज की मां बिमला देवी घर के आंगन में काम कर रही थी। उस समय पंकज, छोटा भाई और बहन भी वहीं मौजूद थे। इस दौरान आंगन में घात लगाए बैठे गुलदार ने मौका देख पंकज की मां पर हमला कर दिया। मां की चीख सुन पंकच वहां दौड़ा चला आया और बिना डरे तेंदुए पर टूट पड़ा। पकंज ने गुलदार का डटकर सामना किया। जिसके बाद तेंदुए बिमला देवी को छोड़कर भाग गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटी उम्र में तेंदुए से भिड़ने वाले टिहरी के पंकज सेमवाल को असाधारण बालक बताया है। उन्होंने पंकज को दूसरा श्रवण कुमार करार दिया। प्रधानमंत्री से मुलाकात से एक दिन पूर्व पंकज ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी विशेष भेंट की। उत्तराखंड बाल कल्याण परिषद के संयुक्त सचिव केपी भट्ट ने पंकज की बहादुरी को उत्तराखण्ड के लिए सम्मान बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने पंकज की प्रशंसा करते हुए कहा कि छोटी उम्र में गुलदार से भिड़ने का मजबूत हौसला असाधारण है। पंकज ने अपने परिवार के लिए अपनी जान को जोखिम में डाला। ऐसा काम केवल साहसी लोग ही कर सकते हैं। पंकज राज्य के लोगों के लिए प्रेरणा बनेगा।