भीमताल:नीरज जोशी: रोजगार की जहाँ बात आए तो पहाड़ों में युवाओं को हमेशा निराशा ही देखने को मिली है। पहाड़ों के युवाओं को रोजगार के लिए भाबर या सिडकुल फैक्ट्रियों पर निर्भर रहना पड़ता हैं। बता दें कि 80 के दशक में उत्तर प्रदेश शासन काल में नैनीताल जिले के भीमताल मे औद्योगिक घाटी लगायी गयी थी। यह सोच कर की पहाड़ों से पलायन रूकेगा। और युवाओ को रोजगार मिलेगा लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते उद्योग यहां पर टिक नहीं पाये और उद्योग लगने के कुछ ही सालों मे यहां से कुछ उद्योगो को छोडं बाकी सब यहां से चले गये। जिससे यहां युवाओं के पलायन की स्थिती पैदा हो गयी है।
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गौरतलब है कि पहाड़ो में एक शिक्षित व्यक्ति के लिए कोई रोजगार का साधन नहीं है। देखने वाली बात तो यह है जो थोड़े बहुत रोजगार के रास्ते थे वो भी पिछली सरकारों के रहते बंद कर दिए गए। रोजगार के नाम पर सिर्फ बातें ही होती रही जो रोजगार लोगों के पास था उन्हें भी छीन लिया गया। उत्तराखण्ड की जनता ने अलग राज्य के लिये लड़ाई लड़ी थी ताकि उन्हें अपना घर छोड़कर रोजगार के लिये दूसरे राज्यों में नहीं भटकना पडे़गा और उन्हें अपने पहाड़ में ही रोजगार मिलेगा। लेकिन उत्तराखण्ड जानें के 17 साल बीत जाने के बाद भी भीमताल में स्थित पहाडों की इकलौती औद्योगिक घाटी की स्थिति जस की तस बनी हुई है उद्योगो के नाम पर गिने चुने उद्योग ही यहां पर चल रहे है जिनका फायदा भी यहां की जनता को नहीं मिल रहा है। स्थानीय लोग आज भी नौकरियों की तलाश में भीमताल छोड़ने को मजबूर है क्योंकि भीमताल और आस पास के क्षेत्रों मे किसी तरह का कोई रोजगार नहीं हैं। पिछली सरकार ने वादे तो बहुत किये लेकिन धरातल पर कोई कार्य आज तक नहीं हुआ है। उघोग के नाम पर आज तक किसी भी कंपनी को कोई भी भूमि आवंटित नहीं की जा सकी है। नैनीताल जिले के प्रभारी मंत्री हरक सिंह रावत भीमताल औद्योगिक घाटी को फिर से बसने के बात कह रहे है।वही प्रभारी मंत्री का कहना है की सरकार पहाड़ो में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गंभीर है। और भीमताल जैसे औद्योगिक घाटी में स्थानीय उत्पादों से जुड़े उद्योग लगाए जायेंगे जिसके लिए बाबा रामदेव से भी बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्यसरकार और पतंजलि मिलकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगी। मंत्री रावत के अनुसार पहाड़ों को रोजगार के कई अवसर मिलेंगे।