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उत्तराखंड के पति-पत्नी की कहानी,सफल स्वरोजगार से पेश किया ‘सफल पार्टनरशिप’ का उदाहरण


पौड़ी: अक्सर आपने सुना होगा कि जोड़ी तो ऊपर वाला बनाता है। शादी के बाद ये बात हर कोई बोलता है। अगर पति-पत्नी व्यापार में भी सफल पार्टनर बनकर दिखाते हैं तो सुनने वालों को भी एक अलग ऊर्जा मिलती है। ऐसी ही कहानी है, गढ़वाल के मठकुंड गांव की रहने वाली धनी कांति चंद और उनके पति विजयपाल चंद की,जिनकी पहचान पति-पत्नी के रूप में कम लेकिन एक सफल पार्टनर के रूप में उभरी है।

उत्तराखंड में स्वरोजगार नाम का शब्द पिछले 5 वर्षों से चलन में है लेकिन चंद दंपत्ति ने 11 वर्ष पहले ही इसकी शुरुआत कर दी थी। शायद वो उस वक्त भविष्य के ट्रेंड समझ पाए थे। उन्होंने 10 साल पहले बागान का विचार बनाया था और साल 2012 में सेब के हॉस्टल की शुरुआत भी कर दी। उन्होंने लगभग 100 नाली से ज्यादा जमीन पर सेब का बगीचा स्थापित किया है और 50 नाली भूमि पर दोनों कीवी भी उगा रहे हैं।

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विजयपाल और उनकी पत्नी ने बताया कि दस साल पहले उन्हें गांव में बगीचा लगाने का विचार  आज सफल हो गया है और हजारों लोगों को प्रेरणा दे रहा है। बागवानी उनके परिवार के आय का बड़ा स्त्रोत बन गई है। पति-पत्नी मिलकर बगीचों की देखभाल करते हैं। उनकी मेहनत का नतीजा है कि दूसरे गांवों में रहने वाले लोग भी उनसे बागवानी के गुर सीखने आते हैं। विजयपाल चंद और उनकी पत्नी धनी कांति चंद ने अपने जुनून से बंजर खेतों में भी सोना उगाने जैसा का किया है। इस तरह के कार्य हजारों लोगों को खेती से जुड़ने की प्रेरणा देते हैं।

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