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पिथौरागढ़ के पारस ने पेश की मिसाल, दिव्यांग बहन को डोली में ले जाकर दिलाए बोर्ड EXAM

Source - Amar Ujala

पिथौरागढ़: रिश्तों से ही दुनिया की खूबसूरती बनती है। रिश्तों को मनुष्य जीवन की सबसे बड़े पूंजी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। भाई बहन का रिश्ता सबसे पवित्र रिश्तों में एक गिना जाता है। इस मासूम से रिश्ते की एक भावुक मिसाल पिथौरागढ़ जिले के चमाली गांव से सामने आई है। यहां एक भाई अपनी दिव्यांग बहन को परीक्षा दिलाने के लिए डोली में बैठाकर ले जाता है। चमाली गांव निवासी पारस कोहली वाकई बधाई के पात्र हैं।

बता दें कि पारस कोहली और उनकी बहनें सानिया और संजना जीआईसी चमाली में पढ़ते हैं। फिलहाल वक्त में पारस और सानिया 12वीं और संजना 10वीं बोर्ड की परीक्षा दे रही हैं। संजना दिव्यांग हैं और चलने फिरने में अक्षम हैं। संजना का परीक्षा केंद्र गांव से 14 किमी दूर जीआईसी शैलकुमारी में है। ऐसे में पारस ने अपनी बहन का सहारा बनने का प्रण लिया है।

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इसके लिए पारस, संजना और सानिया ने लोधियागैर में कमरा लिया है। लेकिन यहां से भी एग्जाम सेंटर की दूरी आधा किमी है। इसलिए पारस ने संजना को एग्जाम दिलाने के लिए डोली का आइडिया इजाद किया। संजना को केंद्र तक ले जाने के लिए पारस, सानिया और उनके रिश्तेदार आकाश डोली का सहारा लेते हैं। जीआईसी के प्रधानाचार्य भुवन प्रकाश उप्रेती की मानें तो संजना का खास ध्यान रखा जा रहा है।

वहीं मुख्य शिक्षा अधिकारी जितेंद्र सक्सेना ने बताया कि बेटी को एक घंटे का अतिरिक्त समय भी दिया जा रहा है। संजना बताती हैं कि उनके पिता, जो छोलिया नृत्य करते थे, की छह साल पहले मृत्य हो गई थी। तभी से परिवार चलाने की जिम्मेदारी मां पर आ गई। वह प्राथमिक विद्यालय डुंगरी में भोजन माता हैं। संजना के हौसले और सपने बहुत बड़े हैं।

पारस का कहना है कि संजना शिक्षक बनना चाहती है। वह अपनी बहन को डोली से एग्जाम दिलाने इसलिए ले जाते हैं क्योंकि वह नहीं चाहते कि उसके सपनों के आगे दिव्यंगता एक परेशानी की तरह अड़ जाए। पिथौरागढ़ के डीएम डॉ आशीष चौहान ने बताया कि संजना को जीआईसी चमाली परीक्षा केंद्र में एग्जाम देने के निर्देश दिए हैं। बच्ची की हर तरह से मदद की जाएगी।

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