Brijesh Tamta, Junior Asiatic boxing gold medalist:- उत्तराखंड भूमि वीरों की भूमि है। यहां एक से बढ़ कर एक युवा आपको अपने वीरता का परिचय देते नज़र आयेंगे। राज्य के एक ऐसे ही युवा है बृजेश टम्टा जिन्होंने कजाकिस्तान में अपने हुनर और वीरता का परिचय देते हुए देश और राज्य का नाम रोशन किया है। बता दिया जाए कि कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित हुई जूनियर एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में पिथौरागढ़ के बृजेश टम्टा ने स्वर्ण पदक अर्जित कर एक भव्य जीत अपने नाम की है। उन्होंने 46 किलोग्राम भार वर्ग में भारत को ये शानदार जीत दिलाई है।
बृजेश मूल रूप से पिथौरागढ़ जनपद के जगतड़ के रहने वाले हैं। उनके पिता फकीर राम प्राइवेट नौकरी करते हैं और मां मंजू देवी एक कुशल गृहिणी हैं। वह एशियन एकेडमी में 11वीं कक्षा के छात्र है।
भारत से 21 अक्टूबर को कजाकिस्तान में चल रही इस प्रतियोगिता के लिए खिलाड़ी रवाना हुए थे। बृजेश इस में 13 सदस्यीय पुरुषों की बॉक्सिंग टीम का हिस्सा थे। उन्होंने अपना पहला मुकाबला किर्गिस्तान के साथ खेला और इस दौरान क्वार्टर फाइनल में अपने लिए जगह भी बना ली। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने फिलीपींस के बॉक्सर को 5-0 से हराया जिसके बाद उन्हें सेमीफाइनल में जगह मिली। सेमीफाइनल में उन्होंने कजाकिस्तान को 4-0 के अंतर से हार दिलाई और फिर फाइनल में उनका सामना ताजिकिस्तान के दज़खोंगिर कामोलोव से हुआ। कड़े संघर्ष के बाद बृजेश ने सामने खड़े खिलाड़ी को हार का स्वाद चखाया और भारत के लिए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।
बताते चलें कि बृजेश ने 2014 से अपनी मुक्केबाजी की शुरुवात की थी तथा खेल विभाग के अधीन प्रशिक्षण केंद्र देव सिंह मैदान में बॉक्सिंग कोच प्रकाश जंग थापा से बॉक्सिग खेल की बारीकियां सीखी। फिर भास्कर चंद्र भट्ट के साथ अपना प्रशिक्षण जारी रखा।
तीन साल से बृजेश SAI पिथौरागढ़ में निखिल महर के अंदर प्रशिक्षण ले रहे हैं। कड़ी मेहनत की वजह से बृजेश इस से पहले बिहार और ईटानगर में हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप के चैंपियन भी रह चुके हैं। कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में खेली गई यह उनकी पहली अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता थी।
बृजेश टम्टा की इस उपलब्धि पर जनप्रतिनिधियों, खेल विभाग के अधिकारियों, खेल प्रेमियों, बॉक्सिंग संघ के पदाधिकारियों एवं खिलाड़ियों ने उन्हें बधाई दी है।