देहरादून: राज्य के पर्वतीय क्षेत्र पलायन की मार झेल रहे हैं। इस लिस्ट में वो जिले भी शामिल हैं जहां पर्यटक आना पसंद करते हैं। दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बागेश्वर जिले की पलायन आयोग की ओर से तैयार रिपोर्ट का विमोचन किया, जिसमें सामने आया कि धार्मिक और अन्य तरह के पर्यटन के लिए देशभर में विख्यात बागेश्वर जिला भी पलायन के दुख से गुजर रहा है। जिले में स्थायी की जगह अस्थायी पलायन अधिक हुआ है जो कुछ राहत देता है। यहां करीब 23 हजार ने अस्थायी रूप से पलायन किया। राहत है तो इतनी कि यह पलायन अस्थाई है और इसका मतलब है कि ये लोग अपने मूल स्थान से संपर्क बनाए हुए है।
सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये हैं कि जिले के कपकोट में पिछले दस साल में जनसंख्या वृद्धि दर शून्य से तीन प्रतिशत नीचे हो गई है। इसी तरह ढाई लाख की जनसंख्या में यहां से करीब पांच हजार लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया। आयोग की रिपोर्ट से साफ है कि बागेश्वर जिला भी पलायन से खासा प्रभावित है। जिले की जनसंख्या 2,59,898 हैं। इसमें 1,24,326 पुरुष और 1,35,572 महिलाए हैं। 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 ने अस्थायी रूप से पलायन किया तो 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों ने पूर्णरूप से पलायन किया
बागेश्वर जिले की सर्वे रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि अन्य जिलों की अपेक्षा यहां के निवासियों की आर्थिकी बेहतर है। जिले में स्वरोजगार, मनरेगा, आजीविका विकास, खड़िया खनन, पर्यटन, तीर्थाटन आदि से ठीक आय हो रही है। हालांकि, खड़िया के खनन से पर्यावरण के सामने चुनौतियां जरूर खड़ी हुई हैं, मगर इससे बड़ी संख्या में स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ है। आयोग की ओर से इस जिले में पर्यटन के साथ ही आजीविका विकास की गतिविधियां बढ़ाने की सिफारिश की जा रही है।
विमोचन के दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पलायन की समस्या को दूर करने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। प्रदेश में स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की स्थिति को और अधिक बेहतर किया गया है लेकिन रिपोर्ट के सामने आने के बाद इसमें और तेजी लाई जाएगी।