
Uttarakhand: Womens Cricket: Australia: India A Team: उत्तराखंड का क्रिकेट अब धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने लगा है। खासकर महिला क्रिकेट में इस राज्य की बेटियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखाया है कि यदि अवसर मिले तो पहाड़ की प्रतिभा देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी गौरव ला सकती है। हाल के वर्षों में उत्तराखंड की बेटियों ने टीम इंडिया तक का सफर तय किया है और यह यात्रा पूरे राज्य के लिए प्रेरणादायक रही है।
नंदनी और राघवी की सफलता से खुला रास्ता
पिछले साल देहरादून की नंदनी कश्यप और टिहरी की राघवी बिष्ट का भारतीय सीनियर टीम में चयन हुआ। यह ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि उत्तराखंड से पहली बार किसी महिला खिलाड़ी ने सीधे नेशनल टीम में जगह बनाई। इस उपलब्धि ने न सिर्फ राज्य में क्रिकेट खेलने वाली लड़कियों का हौसला बढ़ाया बल्कि उन परिवारों को भी प्रेरित किया जो अपनी बेटियों को खेलों में आगे बढ़ते देखने का सपना देखते हैं।
राघवी बिष्ट की चमक
राघवी बिष्ट टिहरी जनपद के छोटे से चंगोरा गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने इंडिया ए टीम के 18 खिलाड़ियों के स्क्वॉड में जगह बनाकर इतिहास रचा था। उत्तराखंड महिला टीम से खेलने के बाद नीली जर्सी पहनने वाली वह पहली खिलाड़ी बनीं। उनका सफर आसान नहीं रहा, लेकिन आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया। ( Raghvi Bist Cricketer India)
ऑस्ट्रेलिया दौरे का सुनहरा प्रदर्शन
ऑस्ट्रेलिया की धरती उत्तराखंड की बेटियों के लिए भाग्यशाली साबित हुई है। राघवी ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया दौरे में इंडिया ए के लिए शानदार प्रदर्शन किया। तीनों मुकाबलों में उन्होंने अर्धशतक जमाए—पहले में 82, दूसरे में 70 और तीसरे में 53 रन। इस निरंतर प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय सीनियर टीम में जगह दिलाई। हालांकि भारत को वनडे सीरीज़ में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन टीम को एक नया सितारा मिला।
WPL में आरसीबी का हिस्सा
राघवी की प्रतिभा केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित नहीं रही। उन्हें विमेंस प्रीमियर लीग (WPL) में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) ने अपनी टीम में शामिल किया। यह उत्तराखंड की बेटियों के लिए गर्व का क्षण था। महिला क्रिकेटरों के लिए यह मंच न केवल आर्थिक मजबूती देता है बल्कि उन्हें बड़े स्तर पर खेलने का आत्मविश्वास भी प्रदान करता है। इस साल भी ऑस्ट्रेलिया दौरे में राघवी ने भारतीय टीम के लिए टी-20 सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाकर अपने चयन को सही साबित किया।
प्रेमा रावत की एंट्री
राघवी की तरह बागेश्वर जिले की बेटी प्रेमा रावत ने भी अपना जलवा बिखेरा। प्रेमा ने घरेलू क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन करते हुए इंडिया ए टीम में जगह बनाई। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने गेंद से कमाल दिखाया। तीन टी-20 मैचों में उन्होंने कुल सात विकेट झटके, उनका गेंदबाजी औसत 9.28 और इकॉनमी रेट 5.41 रहा, जो टी-20 प्रारूप में बेहतरीन माना जाता है।
गेंदबाजी से बनाया दबदबा
प्रेमा की सटीक लाइन और लेंथ ने हर मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को परेशान किया। उनकी गेंदबाजी ने भारतीय टीम को मजबूती दी और उन्हें भारत की गेंदबाजी आक्रमण की सबसे प्रभावशाली खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया। पिछले साल WPL नीलामी में भी उन्हें 1.20 करोड़ रुपये की बड़ी बोली मिली थी। यह उनकी मेहनत और क्षमता का प्रमाण है।
घरेलू टूर्नामेंट में रिकॉर्ड प्रदर्शन
प्रेमा रावत ने 2023 में बीसीसीआई के T20 टूर्नामेंट में 10 मुकाबलों में 16 विकेट हासिल किए। इस दौरान उन्होंने 38 ओवर डाले और मात्र 211 रन दिए। उनका इकॉनमी रेट 5.55 रहा। यह आँकड़े इस बात का सबूत हैं कि वह कितनी अनुशासित और प्रभावी गेंदबाज हैं। हालांकि उनकी टीम फाइनल में हार गई थी, लेकिन प्रेमा ने पूरे टूर्नामेंट में अपनी अलग पहचान बनाई।
पहाड़ से मैदान तक की यात्रा
प्रेमा रावत मूल रूप से बागेश्वर जिले के कपकोट ब्लॉक की ग्राम पंचायत सुमटी की रहने वाली हैं। उनका परिवार वर्तमान में बरेली में रहता है। पिता केदार सिंह रावत एयर फोर्स में कार्यरत हैं और माता बसंती देवी गृहिणी हैं। प्रेमा ने शुरुआती शिक्षा गांव से ही प्राप्त की थी, बाद में बरेली आने के बाद उन्होंने क्रिकेट की ओर गंभीरता से कदम बढ़ाया। ( Prema Rawat Cricketer India-A)
परिवार का सहयोग और जुनून
प्रेमा बचपन से ही लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं। उनके भाइयों हेमंत सिंह रावत और विमल रावत ने उन्हें लगातार अभ्यास कराया। धीरे-धीरे शौक जुनून में बदल गया। कड़ी मेहनत और परिवार के सहयोग ने उन्हें उत्तराखंड की महिला टीम तक पहुँचाया। वहाँ से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और आज वे इंडिया ए और WPL तक पहुँच चुकी हैं।
उत्तराखंड की नई पहचान
आज नंदनी, राघवी और प्रेमा जैसी खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड की बेटियाँ भी बड़े मंच पर दम दिखा सकती हैं। उनका प्रदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। छोटे गांवों और सीमित संसाधनों से निकलकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा साबित की है।
भविष्य की राह
उत्तराखंड क्रिकेट का भविष्य इन बेटियों की उपलब्धियों से और भी उज्ज्वल नजर आता है। अब जरूरत है बेहतर संरचना, आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं और खिलाड़ियों को निरंतर प्रोत्साहन देने की। यदि यह सब मिला, तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड की और भी बेटियाँ टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनकर देश का गौरव बढ़ाएँगी।






