देहरादून:राज्य में अब महानगरों की तरह व्यवस्थाओं को बनाया जा रहा है। गैस लाइन व पानी के मीटर की तरह बिजली के लिए प्रीपेड मीटर ( Uttarakhand prepaid electricity meter) लगाए जाएंगे। उत्तराखंड में करीब 26 से 27 लाख उपभोक्ता हैं और मोबाइल रिचार्ज की तरह वह बिजली इस्तेमाल करेंगे। केंद्र से सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद राज्य कैबिनेट की भी इस पर मुहर लग चुकी है। आदेश जारी होने के बाद यह प्लान एक कदम आगे बढ़ेगा।
बता दें कि उत्तराखंड के उद्योगों में पहले से स्मार्ट प्रीपेड मीट का इस्तेमाल हो रहा है। एक से 75 किलोवाट क्षमता वाले करीब 18 लाख उपभोक्ता हैं। इनमें से करीब 16.50 लाख उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे। यूपीसीएल ( UPCL PREPAID METER) के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि सबसे पहले कॉमर्शियल और पांच किलोवाट तक के उपभोक्ताओं के प्रतिष्ठानों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर ( Smart prepaid electricity meters in uttarakhand) लगाने का काम किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रति मीटर औसत छह हजार रुपये का खर्च आएगा और 22.5 प्रतिशत पैसा केंद्र से ग्रांट के तौर पर मिलेगा। मीटर लगाने वाली कंपनी को यूपीसीएल की ओर से प्रति मीटर प्रति माह के हिसाब से दस साल तक भुगतान किया जाएगा। राहत की बात ये है कि ग्राहकों को नए मीटर के लिए जेब ढीली नहीं करनी पड़ेगी।
प्रीपेड मीटर के लगने के लिए बिजली की बर्बादी पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। मौजूदा वक्त में बिजली का बिल इस्तेमाल के बाद आता है और मानसिक रूप से ग्राहकों को भुगतान का कोई दवाब नहीं होता है लेकिन प्रीपेड में टैरिफ खत्म होने के बाद उनके घर की बिजली समाप्त हो जाएगी।