
हल्द्वानी: सुशीला तिवारी अस्पताल में अब मरीजों को बाहर की दवाएं लिखना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस संबंध में जारी सख़्त आदेशों के बाद अस्पताल प्रशासन और मेडिकल स्टाफ में हड़कंप मच गया है।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गोविंद सिंह तितियाल ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ओपीडी और आईपीडी दोनों प्रकार के मरीजों को केवल अस्पताल में उपलब्ध चिन्हित और जेनेरिक दवाएं ही दी जाएंगी। यदि अस्पताल में कोई दवा उपलब्ध नहीं होती है, तो भर्ती मरीजों के लिए दवा की व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन स्वयं बाहर से खरीदकर करेगा।
प्रचार्य के संज्ञान में आया कि कुछ चिकित्सकों द्वारा जूनियर रेजिडेंट के जरिए सादे कागज पर दवाओं और मेडिकल स्टोर के नाम लिखवाकर मरीजों से महंगी दवाएं मंगवाई जा रही थीं। इससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ रहा था।
बता दें कि अस्पताल में ओपीडी मरीजों के लिए लगभग 400 प्रकार और भर्ती मरीजों के लिए करीब 150 प्रकार की दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके बावजूद बाहर की दवाएं लिखने की शिकायतें लगातार मिल रही थीं।
डॉ. तितियाल ने साफ कहा है कि बाहर की दवा लिखते पकड़े जाने पर इसे गंभीर अनुशासनहीनता माना जाएगा और संबंधित चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय है। उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने अधीनस्थ चिकित्सकों की नियमित निगरानी करें। किसी भी मरीज को अनावश्यक रूप से बाहर की दवा लिखे जाने पर संबंधित विभागाध्यक्ष और चिकित्सक स्वयं जिम्मेदार होंगे। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यह निर्णय मरीजों को राहत देने और पारदर्शी स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।






