जयपुर: राजस्थान में हुए उपचुनाव कांग्रेस के लिए राहत लेकर आए। कांग्रेस के भीतर चल रही खीचातान के बावजूद भी पार्टी ने वल्लभनगर और धरियावद की सीटों पर बड़े अंतर के वोटो के साथ जीत हासिल की है। अब सवाल यहां यह खड़ा हो रहा है कि मंत्रिमंडल में किसे कौन सा पद दिया जाएगा । ऐसा माना जा रहा है कि इस जीत का असर पार्टी के अंदर की राजनीति पर पड़ सकता है । इस जीत के बाद सियासी समीकरण सीएम अशोक गहलोत के पक्ष में दिखती नज़र आ रही है । दूसरी तरफ मंत्रिमंडल विस्तार और नियुक्ति से पायलट गुट के नेता भी उम्मीद लगाए बैठे है। देखना यह है कि कैसे गहलोत इस बार मंत्रिमंडल का निर्माण करेंगे । अगर वह अपनी बात पर अड़ गए तो एक बार फिर सियासी अनबन शुरू हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का मामला आगे खिसक सकता है। उपचुनाव में मिली जीत के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीतिक रूप से मजबूती मिली है। कहा जा रहा है कि पार्टी सीएम अशोक गहलोत को मंत्रिमंडल विस्तार और नियुक्तियों में फ्री हैंड दे सकती है।
सचिन पायलट गुट ने पहले से ही मंत्रिमंडल , राजनीतिक नियुक्ति और संगठन में हिस्सेदारी की मांग की थी। जिसके लिए अशोक गहलोत राज़ी हो गए थे । पायलट अपनी मांगो को लेकर कांग्रेस हाईकमान से भी चर्चा कर चुके है । उपचुनाव में जीत के बाद सीएम अशोक गहलोत ज्यादा मजबूत नज़र आ रहे है । ऐसे में सचिन पायलट गुट की मांगो पर संशय के बादल मंडरा रहे है । उन्हें डर है कि गहलोत अपनी बात से मुकर ना जाए ।
माना जा रहा है कि उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद कई मंत्रियों को एक तरह से लाइफलाइन मिल गया है । पहले कुछ मंत्रियों को बाहर करने का फैसला था । लेकिन अब उनकी कुर्सी सुरक्षित मानी जा रही है । सीएम अशोक गहलोत अपने फॉर्मूले से कैबिनेट विस्तार और नियुक्तियां कर सकते हैं ।
उपचुनाव में आए नतीजों से टीम अशोक गहलोत मजबूत दिखाई दे रहे है । लेकिन यह प्रदेश में सियासी खींचातान भी बड़ा सकता है । माना जा रहा है कि सचिन पायलट खेमे ने मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर राजनीतिक नियुक्तियों की मांग की है । अगर गहलोत अपनी बात से मुकर गए तो एक बार फिर राजस्थान में सियासी संतुलन बिगड़ सकता है ।