जयपुर : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही यह बयान जारी कर चुके हैं कि मेरा सुझाव है कि पेट्रोल, डीजल और गैस से एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, स्पेशल एक्साइज ड्यूटी और सेस के रूप में जो राजस्व केंद्र सरकार इकट्ठा कर रही है। उस पर राज्य सरकारें वैट लगाती हैं, महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार को इसमें वैट लगाने की आवश्यक्ता नहीं है। इससे राज्यों का वैट अपने आप ही कम हो जाएगा फिर राज्यों को वैट कम करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी ।
आगे गहलोत कहते हैं कि हम केंन्द्र सरकार से लगातार पेट्रोल , डीजल की कीमतों पर नियंत्रण और कमी करने का आग्रह करते हैं । अभी नवंबर में केंन्द्र सरकार की एक्साइट ड्यूटी को कम करने के निर्णय लिया गया था। जिस से राज्य का वैट भी अपने आप पेट्रोल पर 1.8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 2.6 रुपये प्रति लीटर कम हो गया । इस कमी से राज्य को वैट राजस्व में 1800 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हुआ है।
उन्होंने बताया कि इस साल बजट के वक्त राज्य सरकार ने डीजल पेट्रोल पर 2 प्रतिसत वैट कम किया था । जिसके कारण 1000 करोड़ का राजस्व नुकसान हो चुका है । दोबारा वैट कम किया गया तो अब 1800 करोड़ का नुकसान होने की संभावना है। इस तरह राजस्थान को 2800 करोड़ का राजस्व कम मिलेगा ।
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार से आग्रह है कि वह तेल कंपनियों को आगे कीमतें नहीं बढ़ाने के लिए पाबंद करें। ताकि पेट्रोल-डीजल के दामों में रोज-रोज होने वाली बढ़ोतरी रुके। केन्द्र सरकार को लोगों की परेशानी समझनी चाहिए । कंपनियों को पाबंद नहीं किया तो पहले की तरह दीपावली के बाद और 5 राज्यों के चुनाव के बाद कुछ ही दिनों में ऑयल कम्पनियां कीमत बढ़ा कर केंद्र-राज्य सरकार की ओर से दी गई राहत का लाभ जीरो कर देगी ।
एक्साइज से जो हिस्सा सभी राज्य सरकारों को मिलता था वह अब केंन्द्र सरकार ने पहले ही कम कर दिया है । साथ ही पहले से कोरोना की स्थिति के कारण राजस्व में भारी कमी आई है । प्रधानमंत्री जी से फिर आग्रह है कि राजस्थान का जीएसटी कम्पनसेशन का करीब 5963 करोड़ का भुगतान कराए। यह सारी बातें गहलोत ने मीडिया के सामने रखी है ।