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सोच हिंदी लेकिन पढ़ाई अंग्रेजी में… स्कूल के खिलाफ धरने पर बैठी रामनगर GGIC की छात्राएं


रामनगर: हिंदी हैं हम… ये केवल पंक्ति नहीं बल्कि भारतवासी की भावना हैं। हम हिंदी है क्योंकि अधिकांश लोग हिंदी में सोचते हैं और हिंदी में ही बात करते हैं लेकिन जब बात समाज में आगे बढ़ने की होती है तो हम हिंदी को पीछे कर अंग्रेजी को आगे कर देते हैं। इस रवैये से हम अपनी मातृभाषा को विश्वभर में पहचान नहीं दे पाएंगे। हिंदी के साथ भेदभाव का एक मामला सामने आया है रामनगर से। स्कूल ने फरमान जारी किया है कि आठवीं के बाद केवल अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई कराई जाएगी। अब उन बच्चों का क्या जो अभी तक हिंदी में पढ़ाई करते आए हों। क्या उनके लिए बैलेंस कर पाना आसान होगा। क्या वह अपने बोर्ड परीक्षा की तैयारी करें या फिर पहले भाषा पर जोरे दे… इस तरह के कई सवालों का जवाब स्कूल प्रबंधक को देना है।

उत्तराखंड के रामनगर में अटल उत्कृष्ट विद्यालय जीजीआईसी में एडमिशन लेने आईं करीब 60 से अधिक छात्राएं स्कूल के खिलाफ धरने पर बैठ गईं हैं। विद्यालय में केवल अंग्रेजी मीडियम में ही एडमिशन दिया जा रहा है। ऐसे में आठवीं तक हिंदी मीडियम से पढ़ने वाले बच्चों ने स्कूल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। स्कूल ने 9वीं कक्षा के लिए प्रवेश हेतु अंग्रेजी मीडियम को अनिवार्य किया है। यानी 9वी के बाद केवल अंग्रेजी में पढ़ाई कराई जाएगी। स्कूल के इस आदेश के बाद दर्जनों छात्राएं अभिभावकों के साथ स्कूल के बाहर टेंट लगाकर धरने पर बैठ गईं हैं। वह हिंदी में ही अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं। बता दें कि राज्य सरकार के जीजीआईसी को अटल उत्कृष्ट विद्यालय घोषित कर दिए जाने के बाद विद्यालय में केवल अंग्रेजी मीडियम से ही पढ़ाई होगी। स्कूल से हिंदी मीडियम हटा दिया गया है और केवल अंग्रेजी मीडियम से ही शिक्षा प्राप्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

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स्कूल ने अपने स्कूल में आठवीं तक पढ़ाई बच्चियों को ही प्रवेश देने से मना कर दिया है जिन्होंने हिंदी मीडियम से पढ़ाई की है और आगे भी हिंदी में पढ़ाई करना चाहते हैं। उनका कहना है कि इन सभी छात्राओं को अंग्रेजी मीडियम के बच्चों के साथ ही अंग्रेजी में पढ़ाई करनी पड़ेगी। वहीं छात्राओं का कहना है कि वे शुरुआत से ही हिंदी मीडियम में पढ़ती आई हैं और वह नौंवी में भी वे हिंदी माध्यम से ही पढ़ाई करना चाहती हैं। इस फैसले से नाराज 60 से अधिक छात्राएं स्कूल के बाहर अभिभावकों के साथ धरने पर बैठ गई है और इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। बीईओ वंदना रौतेला मौके पर पहुंचीं और उन्होंने सभी छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को उनको स्कूल में हिंदी मीडियम में प्रवेश दिए जाने को लेकर आश्वासन दिया है।

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