
पिथौरागढ़: उत्तराखंड में जहां इन दिनों पंचायत चुनावों की गहमागहमी अपने चरम पर है वहीं पिथौरागढ़ जिले के एक छोटे से गांव रीठा रैतौली ने लोकतंत्र को एक नई दिशा देने वाला फैसला लेकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस गांव ने न तो चुनाव प्रचार की होड़ देखी, न ही पोस्टर-बैनरों की भरमार…यहां लोकतंत्र का उत्सव आपसी सहमति और सौहार्द के साथ मनाया गया।
बेरीनाग विकासखंड से लगभग 10 किलोमीटर दूर बसे रीठा रैतौली गांव के करीब 800 ग्रामीणों ने मिलकर यह तय किया कि ग्राम प्रधान और बीडीसी सदस्य का चुनाव किसी प्रतिस्पर्धा से नहीं…बल्कि आपसी सहमति से होगा। और इसी सहमति से गांव की दो महिलाएं…निशा धारियाल को ग्राम प्रधान और जानकी धारियाल को बीडीसी सदस्य के रूप में निर्विरोध चुन लिया गया।
खास बात यह है कि ये दोनों महिलाएं एक ही परिवार से हैं और देवरानी-जेठानी के रिश्ते में हैं। ग्रामीणों ने इसे परिवार की सेवा परंपरा का सम्मान बताते हुए एक स्वर में यह निर्णय लिया।
यह पहली बार नहीं है जब इस परिवार ने गांव की बागडोर संभाली हो। गांव के बुजुर्ग बाला दत्त धारियाल वर्ष 1980 से 2003 तक ग्राम प्रधान रहे। फिर उनकी पत्नी अंबिका धारियाल ने यह जिम्मेदारी निभाई। उस समय जानकी धारियाल बीडीसी सदस्य थीं। अब नई पीढ़ी की देवरानी निशा और जेठानी जानकी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक यह परिवार वर्षों से बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के गांव की सेवा करता आ रहा है। सरकारी योजनाओं के आने से पहले भी इस परिवार ने निजी खर्च से गांव में सड़क, स्कूल और अन्य मूलभूत सुविधाएं विकसित कीं। आज गांव में 10वीं तक की स्कूल सुविधा है और यह मुख्य सड़क मार्ग से जुड़ चुका है….ये सब इन्हीं प्रयासों का परिणाम हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि गांव में आपसी विवादों को सुलझाने के लिए पंचायत से पहले संवाद को प्राथमिकता दी जाती है…और इस दिशा में धारियाल परिवार की भूमिका हमेशा अग्रणी रही है।
2025 के इस पंचायत चुनाव में रीठा रैतौली गांव ने यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र सिर्फ मतपत्रों की लड़ाई नहीं…बल्कि आपसी विश्वास, सहमति और विकास की साझी सोच का नाम भी है। देवरानी-जेठानी की यह निर्विरोध जोड़ी ग्रामीण राजनीति में सामंजस्य और सहयोग का अनूठा उदाहरण बनकर सामने आई है।






