देहरादून: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मूनाकोट स्थित रणुवा गांव की निवासी निवेदिता कार्की ने 38वें नेशनल गेम्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए बॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। 16 वर्षीय निवेदिता ने 50 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल मुकाबले में हरियाणा की बॉक्सर को 5-0 से हराया और राज्य को गर्व महसूस कराया।

दृढ़ नायकत्व से हरियाणा की बॉक्सर को किया नत
निवेदिता ने अपनी बेहतरीन तकनीक और ताकत से प्रतिद्वंदी को पूरी तरह से मात दी। मुकाबले में उनकी आक्रामकता और तेज़ पंचों ने हरियाणा की बॉक्सर को कोई मौका नहीं दिया। निवेदिता के इस अभूतपूर्व प्रदर्शन ने उन्हें एकतरफा मुकाबला जीतने में मदद की, जिससे वह स्वर्ण पदक की हकदार बनीं।
निवेदिता का प्रेरणादायक सफर
निवेदिता कार्की पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग प्रतियोगिताओं में अपने प्रदर्शन से सभी को चौंका चुकी हैं। मात्र 15 साल की उम्र में उन्होंने स्वीडन के बोरास में आयोजित गोल्डन गर्ल अंतरराष्ट्रीय जूनियर बॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद जॉर्डन में आयोजित एशियन यूथ जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी उन्होंने 48 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
विश्वभर में छाई निवेदिता की धाक
निवेदिता ने दुबई और इजरायल जैसे देशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उनकी सफलता ने उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है और उन्हें आने वाले बड़े मुकाबलों के लिए भी तैयार किया है।
परिवार का समर्थन और प्रेरणा
निवेदिता की सफलता में उनके परिवार का भी अहम योगदान है। निवेदिता के पिता बहादुर सिंह कार्की इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं, जबकि उनकी मां पुष्पा कार्की गृहिणी हैं। उनका परिवार हमेशा उनकी प्रेरणा स्रोत रहा है।
निवेदिता का यह स्वर्ण पदक उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है और वह राज्य के युवा खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श बन चुकी हैं।
