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प्रवीण कुमार का खुलासा, टीम से बाहर था, रिवॉल्वर से अपनी जान लेना चाहता था


हल्द्वानी: साल 2007 में पाकिस्तान टीम भारत दौरे पर पहुंची थी। टीम इंडिया ने यह सीरीज 3-2 से अपने नाम की थी। वनडे सीरीज़ के आखिरी मुकाबला केवल औपचारिकता के लिए था क्योंकि टीम ने पहले ही सीरीज में 3-1 से अजेय बढ़त बना ली थी। इस मुकाबले में भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार को मौका दिया। अपने पहले मैच में प्रवीण कुमार को कोई सफलता तो नहीं मिली लेकिन अपनी लाइन लेंथ और स्विंग से उन्होंने सभी को प्रभावित किया। इसके बाद प्रवीण को धोनी ने ऑस्ट्रेलिया में खेली गई ट्राई सीरीज़ में मौके दिया और वहां इस गेंदबाज ने ऐतिहासिक कर टीम को यादगार जीत दिलाई। इसके बाद प्रवीण कुमार टीम इंडिया की गेंदबाजी के अहम कड़ी बन गए। प्रवीण कुमार को आज भी उत्तर प्रदेश के युवा गेंदबाज अपना आदर्श मानते हैं। साल 2011 में विश्वकप से पहले टीम इंडिया साउथ अफ्रीका दौरे पर गई थी। प्रवीण कुमार को विश्वकप के लिए चुना गया था लेकिन चोट के चलते वह बाहर हो गए और फिर उन्हें भारत के लिए खेलना का मौके कम मिले और धीरे-धीरे वह टीम से बाहर हो गए। उत्तर प्रदेश के इस क्रिकेटर ने 68 वनडे, 6 टेस्ट और 10 टी-20 खेले हैं। प्रवीण के खाते में कुल 112 इंटरनेशनल विकेट हैं। दो साल पहले उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया।

प्रवीण कुमार पिछले दो दिन से सुर्खियों में हैं। उन्होंने एक खुलासे से पूरे भारतीय क्रिकेट को हिलाकर रख दिया है। टीम से बाहर होने के चलते प्रवीण कुमार मानसिक दवाब में आ गए थे और उन्होंने खुद को जान से मारने की योजना भी बना ली थी।

प्रवीण ने इस इंटरव्यू में बताया, ”हरिद्वार जाते समय हाईवे पर वह अपनी ही रिवॉल्वर से अपना जीवन समाप्त कर लेना चाहते थे। लेकिन कार में अपने ही बच्चों की फोटो देखकर मैं ऐसा नहीं कर पाया।”

प्रवीण कुमार ने बताया, ”मैंने खुद से कहा, क्या है ये सब, बस खत्म करते हैं, लेकिन मैं अपने फूल जैसे बच्चे की तस्वीर देखकर ऐसा नहीं कर पाया। मैं उन्हें नरक में नहीं छोड़ सकता था। मुझे अपना इरादा बदलना पड़ा।” आईपीएल में भी प्रवीण कई टीमों के साथ खेले हैं, लेकिन उनका अवसाद बढ़ता रहा। वह इस दुखद तथ्य से भी वाकिफ हुए कि मानसिक स्वास्थ्य के विषय में हमारे यहां बहुत गंभीरता से नहीं सोचा जाता। 

उन्होंने कहा, ”भारत में डिप्रेशन की अवधारणा ही कहां है। मेरठ में कोई इसके बारे में नहीं जानता। मेरे पास कोई नहीं था, जिससे मैं इसके बारे में बात करता। मैं लगातार चिड़चिड़ा होता गया। मैंने काउंसलर को बताया कि मैं अपने विचारों की तरफ स्विच ऑफ नहीं कर पा रहा हूं तो उन्होंने कहा कि मैं बहुत अच्छी गेंदबाजी कर रहा था, सब मेरी तारीफ कर रहे थे। मैं टेस्ट करियर का सपना देख रहा था। अचानक सब कुछ चला गया। मुझे लगा हर व्यक्ति यही सोच रहा है कि पीके रिटायर हो गया।”

उन्होंने कहा, ”क्या कोई यह बात नहीं जानता कि उत्तर प्रदेश को गेंदबाजी कोच की जरूरत होती है। जल्द ही मैं टीम के साथ लौटूंगा। मैं मेरठ में खाली नहीं बैठूंगा।” उन्होंने कहा, ”कुछ महीने पहले मुझे अपने आप से ही डर लगता था। बुरा समय यही होता है। यदि कोई मेरे फोन का जवाब नहीं देता तो मैं भयानक रूप से उपेक्षित महसूस करता। यह बात अंदर से मुझे मार रही थी। उन्होंने कहा कि बुरा वक्त निकल गया है और वह जल्द मैदान पर वापसी करेंगे।

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