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यकिन मानिए भारत भारत में खेलकर नंबर वन बना है!


हल्द्वानी: पंकज पांडे: टेस्ट की नंबर एक टीम का ख्याल आते ही रिंकी पोटिंग की अगवाई वाली टीम याद आती है। चैंपियन टीम की परिभाषा क्या होती है ये उस टीम ने पूरे क्रिकेट जगत को बताया था। दूसरे नंबर पर ग्रीम स्मिथ की टीम… ऐसा नहीं है कि इन टीमों ने सभी जगह जीत हासिल की हो लेकिन उस दौर पर विरोधियों के घर में जाकर उसे हराना किसी करिश्मे से कम नहीं था।

मौजूद वक्त में कोई भी सीरीज शुरू होने से पहले 80 प्रतिशत जीत होम टीम की निश्चित रहती है। ऐसे ही कुछ भारतीय टीम के साथ हुआ है जो बिना बाहर के टूर जीते नंबर पर के पायदान पर काबिज है। टीम इंडिया को न्यूजीलैंड ने 0-2 से हराया। इससे पहले साल 2014 में न्यूजीलैंड दौरे में भारत को 0-1 से हार का सामना करना पड़ा था। भारतीय टीम की सबसे बड़ी कमजोरी है कि एक यूनिट के तौर पर प्रदर्शन ना कर पाना। पूरी टीम एक ही खिलाड़ी पर निर्भर करती है और वो हैं कप्तान विराट कोहली। कोहली के लिए न्यूजीलैंड का ये टेस्ट दौरा किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा है। लेकिन सभी खिलाड़ियों का हाल रहा रहे। केवल दो खिलाड़ियों ने 4 पारियों में 100 से ज्यादा रन बनाए हैं। एक तरफ न्यूजीलैंड के लोअर ऑर्डर ने उन्हें दोनों मैच में वापसी कराई और भारत का मीडिल ऑर्डर तास के पत्तों की तरफ बिखर गया।

कोहली की कप्तानी में भारत ने दो बार वेस्टइंडीज और एक बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती। उसने एशिया की पिचो का अपने हिसाब से फायदा उठाया लेकिन असली पोल इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका में खुल गई। हम कब तक बहाने बनाएंगे…. चैंपियन टीम कभी बहाना नहीं बनाती है। वेस्टइंडीज की टीम क्या है पूरा विश्व जानता हैं… वहीं भारत ने जब ऑस्ट्रेलिया को हराया था तब टीम में वॉर्नर और स्मिथ नहीं थे जबकि साल 2004 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को सचिन, सहवाग , गांगुली, द्रविड, लक्ष्मण, कुंबले और हरभजन के रहते मात दी थी।

बल्लेबाजों का खराब प्रदर्शन गेंदबाजों के मनोबल को तोड़ता है। इंग्लैंड़ और साउथ अफ्रीका दौरा याद किजिए, ना जाने कितने बार गेंदबाजों ने टीम की को संकट से उभारा लेकिन अंत में बल्लेबाजों का खराब प्रदर्शन हार का कारण बना। न्यूजीलैंड के इस दौरे पर भी ऐसा ही हुआ।

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एक मजबूत टीम का लाइनअप लगभग फिक्स रहता है। भारतीय टीम स्पेशल विकेटकीपर होने के बाद भी ऋद्धिमान साहा बाहर बैठे रहे और मौका ऋषभ पंत को मिलता रहा। पंत का फॉर्म पहले से खराब था। सीमित ओवर में उन्हें मौका नहीं दिया गया और टेस्ट में उन्हें खिलाकर आपने खुद उन्हें परेशानी में डाल दिया है। आने वाले वक्त में शायद ही उन्हें टेस्ट टीम में जगह मिलेगी।

पंत दोनों मैच मिलाकर कुल 60 रन ही बना सके, जिसमें 25 रन उनका बेस्ट स्कोर रहा। आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप प्वॉइंट टेबल में 360 प्वॉइंट्स के साथ टीम इंडिया टॉप पर बनी हुई है लेकिन उसने एक सीरीज वेस्टइंडीज में जीती है और बाकि अपने देश भारत में…. भारतीय क्रिकेट को स्वीकार करना होगा कि नंबर वन होने के बाद भी उनका खेल विदेशों में उस लायक का नहीं हैं। विदेशों में शानदार प्रदर्शन करने के लिए बीसीसीआई को घरेलू क्रिकेट को सुधारना होगा, जहां तेज गेंदबाजों को मदद मिले। हार और जीत खेल का पहलू लेकिन चैंपियन टीम ऐसा प्रदर्शन करें ये किसी भी स्तर की क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं है।

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