हल्द्वानी: पंकज पांडे: भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली की बल्लेबाजी और कप्तानी हर किसी को रास आती है। उन्होंने केवल 11 साल के करियर ऐसा मुकाम हासिल किया है जो शायद ही कर सके। विराट कोहली को पूरा क्रिकेट जगत रन मशीन के नाम से जानता है। विराट आक्रमक हैं,ये रवैया उन्हें और बेहतर बनाता है लेकिन कई बार वो इसकी सीमा भी लांघ देते हैं जो उनके जैसे महान खिलाड़ी की पहचान के लिए अच्छा नहीं हैं।
मुंबई इंडियंस के साथ हुए मुकाबले में नो बोल विवाद ने खूब सुर्खियां बटोरी। अंपायरिंग के स्तर पर भी सवाल खडे़ हुए हैं लेकिन गलती इंसान से ही होती है। आरसीबी के कप्तान विराट ने मुकाबले के बाद खराब अंपारिंग को आड़े हाथ लिया और कहा कि यह कोई क्लब मैच नहीं है। विराट की बात जायज है । मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि मुकाबले के बाद वो मैच रेफरी के रूम में गए और वहां गाली गलौज की। विराट कोहली को युवा आदर्श के तौर पर देखते है और उन्हें इस तरह के विवाद से दूर रहना चाहिए। इससे पहले भी विरोधी खिलाड़ियों के साथ मैदान पर अनबन और अनिल कुंबले के साथ हुई अनबन के कारण भी उनका व्यवहार निशाने पर रहा।
बता दें कि आखिरी ओवर करा रहे मलिंगा को ने आखिरी गेंद नो बॉल कराई लेकिन अंपायर्स ने ध्यान नहीं दिया। आरसीबी को स्कोर बराबर करने के लिए केवल 6 रन चाहिए थे। नो बॉल दी जाती तो नतीजा शायद कुछ और हो सकता है। क्योंकि एक छोर से डिविलियर्स तूफानी अंदाज में बल्लेबाजी कर रहे थे।
उदाहरण के तौर पर सचिन तेंदुलकर, जॉक कालिस , एडम गिलक्रिस्ट, महेंद्र सिंह धोनी और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों को ले लिजिए। मैदान पर रन बनाने के अलावा इन सभी खिलाड़ियों को उनका मैदान पर चरित्र भी युवाओं को प्रेरणा देता है। आप क्रिकेटर है और मैदान पर ही आपकों गेम की जेंटरमेन परिभाषा को बनाए रखना होता है।
दूसरी ओर क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े कप्तान रिकी पोंटिंग को देखिए। पोंटिंग ऑस्ट्रेलिया के लिए एक महान बल्लेबाज और कप्तान रहे लेकिन मैदान पर उनका रवैया हर वक्त निशाने में रहा। कुछ ऐसी घटनाएं भी हुई जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने पोंटिंग को क्रिकेट के लिए खतरनाक बताया था। विराट कोहली के अंदाज की तुलना जूनियर लेवल से ही पोंटिंग जैसी मानी गई थी।
अंडर-19 विश्वकप और श्रीलंका में कप्तान के रूप में पहली टेस्ट सीरीज़ जीत, विराट क में भी ये अंदाज देखा गया। विराट टीम के लिए 100 प्रतिशत देने की कोशिश करते है लेकिन उन्हें अपने व्यवहार पर भी गौर करने की जरूरत है ताकि युवाओं के सामने खिलाड़ी व इंसान के रूप में वो अच्छा संदेश दे सकें। विराट एक महान खिलाड़ी है और इसमें क्रिकेट डायरी कभी सवाल खड़ा नहीं करेगी लेकिन अब उन्हें अपने करियर में महान से महानतम खिलाड़ी होने का सफर तय करना है जिसकी दूरी काफी कम खिलाड़ी ही समझ पातें हैं।