आज भी भक्तजन कागज़ मैं अर्जी लिख कर गोलू मंदिर मैं पुजारी जी को देते हैं। पुजारी लिखित पिटीशन पढ़कर गोल्ज्यू को सुनाते हैं। फिर यह अर्जी मंदिर में टांग दी जाती है। कई लोग सरकारी स्टांप पेपर मैं अपनी अर्जी लिखते हैं। गोलू देवता न्याय के देवता हैं। वह न्याय करते हैं।
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