ग्वालियर कोट चम्पावत में झालरॉय के पुत्र हलराय राजा राज्य करते थे। यह बहुत पहले की बात है। उनकी सात रानियाँ थी। परन्तु उनकी संतान नहीं थी। एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार खेलने जंगल में गए। शिकार खेलते खेलते वह बहुत थक गए और विश्राम करने लगे। उन्हो़ंने अपने दीवान से पानी की मांग की। पानी पीते समय सोने के गडुवे में उन्हें सात हाथ लम्बा सुनहरा बाल दिखाई दिया। राजा कुछ आगे बड़े तो उन्हो़ने देखा की एक सुंदरी दो साडों से लड़ रही है। राजा उसकी वीरता व सौंदर्य पर मुग्ध हो गए। राजा ने सुंदरी के आगे शादी का प्रस्ताव रखा। सुंदरी कालिंका के पिता रिखेशर ने अपनी बेटी का विवाह स्वीकार कर लिया।
कुछ समय बाद रानी गर्भवती हो गई इससे राजा की 7 रानियों को जलन होने लगी। उन्हें लगा कि राजा अब कालिंका को ही प्यार करेगा। अतः उन्हो़ंने रानी के गर्भ को नष्ट करने की सोची। प्रसव के दिन राजा शिकार पर गया था। सातों रानियों ने बहाना बनाकर कालिंका की आंखों में पट्टी बाँध दी। उससे रानियों ने कहा की तुम मूर्छित न हो जाओ इसलिए पट्टी बाँध रहे हैं। बच्चा होने पर फर्स पर छेद करके बच्चे को नीचे डाल दिया ताकि बकरे बकरियों द्बारा उसे मार दिया जाय। रानी के आगे उन्हो़ंने सिल बट्टा रख दिया। बच्चा जब गो में भी जिन्दा रहा तो रानियों ने बच्चे को सात ताले वाले बक्से में रख कर काली नदीं फेक दिया।
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