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पिता पिकअप ड्राइवर और मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, बेटी ज्योति ने SDM बनकर सपने कर दिए साकार


Success Story: Jyoti Rani:सपनों को सच करने के लिए जरूरी नहीं होता कि हालात आपके पक्ष में हों, बल्कि जरूरी होता है जज्बा, मेहनत और हिम्मत। बिहार के पूर्वी चंपारण की रहने वाली ज्योति रानी की कहानी इसका जीता-जागता उदाहरण है। सीमित संसाधनों और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद उन्होंने अपने नाम एक ऐसा मुकाम दर्ज किया, जो हजारों युवाओं को प्रेरणा देता है।

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ज्योति के पिता पिकअप वैन चलाते हैं और मां एक आंगनवाड़ी में काम करती हैं। आमदनी सीमित थी, लेकिन हौसले बुलंद। ज्योति ने 12वीं की पढ़ाई पटना से पूरी की और उसके बाद आईआईटी की तैयारी की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने जयपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बीटेक किया।

कॉलेज खत्म होते ही उन्हें 6 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर एक अच्छी प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिली। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कोरोना महामारी ने उनके करियर को झटका दे दिया। नौकरी छूटी तो उन्होंने हार मानने की बजाय एक नया रास्ता चुना—BPSC की तैयारी।

बिना कोचिंग के, केवल खुद की मेहनत और यूट्यूब जैसे डिजिटल साधनों के सहारे ज्योति ने पढ़ाई शुरू की। कठिन परिश्रम रंग लाया और उन्होंने 67वीं BPSC परीक्षा में 256वीं रैंक हासिल की। उनकी पहली नियुक्ति पश्चिम चंपारण में SDM के रूप में हुई। ज्योति बताती हैं कि जब रिजल्ट आया, तो वे और उनके पिता खुशी के मारे फूट-फूट कर रो पड़े। यह सफलता सिर्फ उनकी नहीं, उनके पूरे परिवार के संघर्ष की जीत थी। ज्योति की यह यात्रा बताती है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी कठिनाई आपके सपनों के रास्ते को नहीं रोक सकती।

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