नई दिल्ली: राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में कुछ ना कुछ होता है जो सुर्खियों में बना रहता है। राहुल गांधी की भारत जोड़े यात्रा के बाद लगा कि कांग्रेस एकजुट होगी लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा है। कोई साल 2020 में हुए घटनाक्रम की बात कर रहा है तो कई 2022 में विधायकों के इस्तीफे की। चुनाव से पहले जब सभी को एक पेज पर होना चाहिए था, यहां जब अलग-थलग दिख रहे हैं। सचिन पायलट गुट चार महीने पहले इस्तीफा देने वाले नेताओं पर एक्शन की मांग कर रहा है। खुद दिल्ली पहुंचकर पायलट ने केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए।
इसके बाद मुख्य सचेतक पद से महेश जोशी ने इस्तीफा दिया और सीएम गहलोत ने उसे स्वीकार कर लिया। अब मामले में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बयान देकर आग में घी डालने का काम किया है। उन्होंने इसे एक्शन का हिस्सा बताकर सनसनी फैला दी।
बता दें कि 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर राजस्थान के मुख्यमंत्री निवास पर पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। हालांकि, गहलोत गुट के विधायकों ने इस बैठक का बहिष्कार करते हुए समानान्तर दूसरी बैठक बुला ली। इसके बाद आधी रात को राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के बंगले पर जाकर 81 विधायकों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए थे।
राजस्थान के तीन कांग्रेसी नेता कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को जिम्मेदार माना गया। इन तीनों नेताओं को अनुशासनहीनता का दोषी मानते हुए नोटिस जारी किया गया लेकिन चार महीने तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। इसके बाद से सचिन पायलट गुट इस्तीफा देने वाले और ये पूरा प्लान रचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है।