देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के उस फैसले को सही ठहराया है जिसमें उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समितियां बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समान नागरिकता को लागू करने के लिए राज्य समिति बना सकते हैं संविधान ने उन्हें अधिकार दिया है और इसे चुनौती देने के लिए अदालत का रुख नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने समितियां बनाने के निर्णय को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता वकील अनूप बरनवाल ने समिति गठन के निर्णय की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि याचिका में कोई मैरिज नहीं है और इसे सुनने की कोई जरूरत नहीं है सरकार का ऐसी समितियां बनाना संविधान के अधिकार से बाहर नहीं है अनुच्छेद 162 कार्यपालिका को ऐसी समिति बनाने की शक्ति प्रदान करता है संविधान की सातवीं अनुसूची की पांचवी प्रविष्टि राज्यों को ऐसी समितियां बनाने की शक्ति देती है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और गुजरात सरकार के निर्णय के विरोध में दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। वही पुष्कर सिंह धामी ने न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य में जल्दी ड्राफ्ट बनाकर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की बात कही है।