
Tehri: School: Teacher: 8KM: IAS Nikita Khandelwal: उत्तराखंड में सरकारी शिक्षकों के विद्यालय से दूर रहने का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। टिहरी जिले की जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल द्वारा लिया गया एक अहम प्रशासनिक निर्णय न केवल चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि इससे शिक्षा व्यवस्था की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
जिलाधिकारी ने जिले के अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सरकारी शिक्षक अपने विद्यालय परिसर से अधिकतम 8 किलोमीटर की दूरी के भीतर ही निवास करें। इस आदेश के बाद टिहरी शिक्षा विभाग ने भी संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
हालांकि सोशल मीडिया पर इस फैसले की सराहना की जा रही है, लेकिन प्रशासनिक जानकारों का कहना है कि यह कोई नया नियम नहीं है। सरकारी कर्मचारी सेवा नियमावली में पहले से ही यह प्रावधान मौजूद है कि कर्मचारी को अपने कार्यस्थल या मुख्यालय से 8 किलोमीटर के दायरे में रहना अनिवार्य है। बावजूद इसके, लंबे समय से इस नियम का पालन ज़मीनी स्तर पर नहीं हो पा रहा था।
इस पूरे मामले की शुरुआत कीर्तिनगर तहसील दिवस के दौरान हुई एक जनशिकायत से हुई। एक फरियादी ने सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर चिंता जताई। शिकायतकर्ता का आरोप था कि कई शिक्षक दूरस्थ और शहरी क्षेत्रों से प्रतिदिन वाहन के माध्यम से स्कूल आते हैं, जिससे वे अक्सर देर से पहुंचते हैं और शिक्षण कार्य औपचारिकता तक सीमित रह जाता है।
फरियादी ने यह भी कहा कि लंबी दूरी तय कर आने वाले शिक्षक स्कूल पहुंचने पर थके हुए और उदासीन नजर आते हैं, जिससे विद्यार्थियों को पर्याप्त ध्यान नहीं मिल पाता। उनका तर्क था कि यदि शिक्षक विद्यालय के आसपास निवास करें तो न केवल समयपालन बेहतर होगा, बल्कि पढ़ाई की गुणवत्ता में भी स्पष्ट सुधार देखने को मिलेगा।
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई के संकेत दिए और शिक्षा विभाग को नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। माना जा रहा है कि इस फैसले से न केवल शिक्षकों की जवाबदेही तय होगी, बल्कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर को सुधारने की दिशा में भी एक ठोस कदम साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि यह आदेश कागजों तक सीमित रहता है या वास्तव में विद्यालयों की तस्वीर बदलने में सफल होता है।






