देहरादून: बांध परियोजना किशाऊ के लिए अब दोबारा सर्वेक्षण किया जाएगा। जिसके बाद किशाऊ बांध एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध होगा। बता दें एशिया का सबसे बड़ा बांध उतराखंड का टिहरी डैम है, इस डैम उंचाई 260 मीटर है। जबकि किशाऊ बांध 236 मीटर ऊंचा और 680 मीटर लंबा होगा। इस बांध के लिए हरियाणा 478.85 करोड़, उत्तर प्रदेश 298.76 करोड़, उत्तराखंड 38.19 करोड़, राजस्थान 93.51 करोड़, हिमाचल प्रदेश 31.58 करोड़ और दिल्ली 60.50 करोड़ रुपए देगी।
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जानकारी के अनुसार किशाऊ बांध दो राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर बन रहा है। ये बांध उत्तराखंड की मुख्य नदी टौंस नदी पर बनेगा, जो आगे जाकर यमुना नदी में मिल जाती है। इस बांध के बनने से हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। इन सबमें सबसे ज्यादा फायदा देश की राजधानी दिल्ली को होगा, जिससे वहां पानी की आपूर्ति को पूरा किया जा सके।
जल विद्युत निगम लिमिटेड एमडी संदीप सिंघल के अनुसार किशाऊ बांध परियोजना के लिए संशोधित डीपीआर तैयार की जा रही है। इसके लिए ताजा सर्वेक्षण कराया जाएगा। इस सर्वेक्षण के बाद सभी खर्चों को समाहित करते हुए डीपीआर तैयार की जाएगी। इसके बाद सभी छह राज्यों के बीच एग्रीमेंट होना है।
बता दें पिछले साल 21 सितंबर को दूसरी बोर्ड बैठक और इसके बाद 24 नवंबर को हुई हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक के बाद तय किया गया इसकी डीपीआर संशोधित की जाएगी। इस संशोधन से पहले नए सिरे से हाईड्रोलॉजिकल डाटा, सर्वेक्षण, अतिरिक्त सर्वेक्षण, विस्तृत जियो तकनीकी इन्वेस्टिगेशन, ताजा सीसमिक पैरामीटर स्टडीज, प्रोजेक्ट के संशोधित खर्च के हिसाब से संशोधित स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा।
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