देहरादून, उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार बैठकों में मशगूल हैं लेकिन धरातल पर व्यवस्थाओं से मानो जैसे उनका कोई वास्ता ही ना हो, यह हम नहीं अस्पतालों की जमीनी हकीकत बयां कर रही हैं राजधानी देहरादून के जिला अस्पताल कोरोनेशन में ही आए दिन कभी महिलाओं को प्रसव बाथरूम में हो जाता है तो कभी नवजात बच्चों का शव फ्लश टैंक में फेंक दिया जाता है जिसकी जानकारी दो चार दिन तक तो खुद वहां मौजूद अधिकारियों को ही नहीं होती, यह हाल देहरादून के हैं जहां सरकार से लेकर शासन की नजरे हर जगह टिकी रहती है तो फिर पहाड़ और अन्य जगह के अस्पतालों के हाल क्या होंगे जिनकी खबरें बाहर निकलकर तक नहीं आती, स्वास्थ्य मंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारी आए दिन बैठके कर बड़े-बड़े दिशा निर्देश जारी करते हैं लेकिन उन निर्देशों का होता क्या है उस तरफ किसी की ध्यान नहीं जाता।। यदि अस्पतालों की ओर भी ध्यान दिया जाता तो शायद हालात ऐसे नही होते ।। कभी महानिदेशालय तो कभी शासन में बैठक कर देने मात्र से हालत सुधरते तो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर लोगो का भरपूर विश्वास होता। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत स्वास्थ्य विभाग से संबंधित मामलों पर अब तक लगभग 100 बैठके कर चुके है आए दिन विभागीय मंत्री की बैठकों के बाद भी जब हालत ऐसे है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हाथो में है।। विभागीय मंत्री को ऐसे मामलो पर भी ध्यान आकर्षित करना होगा जिससे अस्पतालों में हो रही ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके।। अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे लगे है सैकडो लोगो का स्टाफ है लेकिन उसके बावजूद भी हालात ना सुधरें तो फिर जिम्मेदार कोन है???