हल्द्वानी: हमारा देश, हमारा समाज कई मायनों में आगे बढ़ रहा है, प्रगति कर रहा है। मगर इस बात से मुंह नहीं फेरा जा सकता कि बीते कुछ सालों में अपराध भी एकाएक बढ़ गए हैं। मानवों के आपसी संघर्ष के साथ-साथ मानव और मासूम जानवरों के संघर्ष की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। एक तरफ जहां जानवरों पर बेवजह अत्याचार (Animal cruelty cases) के मामले सामने आ रहे हैं तो वहीं हल्द्वानी में एक टीम जानवरों की सेवा कर दुनिया को राह दिखा रही है। हम हल्द्वानी की सहारा सोसाइटी की बात कर रहे हैं।
एनजीओ द्वारा साल 2020 से बीमार व परेशान स्ट्रे डॉग्स, बिल्ली, खरगोश आदि जानवरों का रेस्क्यू किया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि सहारा (Haldwani Sahara society) की टीम इनके खानपान व इलाज का भी पूरा ख्याल रख रही है। फिलहाल वक्त में टीम के साथ 70 से 80 साथी जुड़े हुए हैं जो इस पुण्य कार्य को कर रहे हैं।
कब और कैसे हुई शुरुआत
सहारा सोसाइटी की शुरुआत हल्द्वानी निवासी दो बहनों ने तब की थी, जब साल 2020 में पूरा देश अपने घरों में बैठने को मजबूर था। एनजीओ की संस्थापक हल्द्वानी निवासी मेघना बोहरा (Haldwani Meghna Bohra) बताती हैं कि लॉकडाउन की शुरुआत में जब वह एक रोज अपने घर से बाहर निकलीं तो देखा कि एक स्ट्रे डॉग बड़ा ही बीमार है। क्योंकि मॉनसून सीजन चल रहा था इसलिए वह बारिश में पूरी तरह भीग भी चुका था।
जब उसे इस बीमार हालत में देखा नहीं गया तो मेघना ने यह तय किया कि वह उसकी मदद करेंगी। जिसके लिए उन्होंने गूगल पर हल्द्वानी के ऐसे एनजीओ को खोजना शुरू किया जो बीमार जानवरों का इलाज कराते हैं या उनकी देखभाल करते हैं। ताज्जुब तो तब हुआ जब ज्ञात हुआ कि आसपास में ऐसा कोई भी एनजीओ नहीं है जो उक्त काम करता हो। जिसके बाद मेघना ने यह सारी कहानी अपनी बहन चेतना बोहरा (Haldwani Sahara Chetna Bohra) को बताई और दोनों के प्रयास से सहारा सोसाइटी की शुरुआत हुई।
संकल्प लिया तो बनता गया कारवां
मेघना बोहरा ने हल्द्वानी लाइव (Haldwani live) को बताया कि उन्होंने अपनी बहन के साथ मिलकर यह ठाना था कि वह जानवरों की सेवा के लिए कदम आगे बढ़ाएंगे। तब उनका मानना था कि शायद उनके एक कदम आगे बढ़ाने से बाकी के लोग भी साथ आ जाएं और हुआ भी यही। शुरुआत में मेघना और चेतना ने अकेले ही हल्द्वानी की सड़कों और गलियों में जा-जाकर स्ट्रे डॉग्स (Sisters started feeding stray dogs regularly) को खाना खिलाना शुरू किया।
धीरे धीरे दोनों बहनों ने नियमित तौर पर हल्द्वानी के स्ट्रे डॉग्स के साथ समय बिताना शुरू कर दिया। इस दौरान अगर कोई डॉग या कोई अन्य जानवर बीमार होता तो दोनों ने उसके इलाज की जिम्मेदारी (Treatment responsibility) लेने से भी परहेज़ नहीं किया। किसी ने बड़ा खूब कहा है कि आप कोई नेक काम अकेले ही क्यों ना शुरू करें, एक वक्त आएगा जब पूरी दुनिया आप के साथ होगी। मेघना बताती हैं कि आज उनके साथ 70 से 80 लोगों की टीम है। जो इसी काम को अपने नेक दिल के साथ करती है।
उपलब्धियां और लक्ष्य
वर्तमान समय में सहारा द्वारा एक ऑनलाइन एडॉप्शन सेंटर (Sahara online adoption center) भी चलाया जा रहा है। जिसमें टीम द्वारा ऐसे डॉगी, बिल्ली आदि के बारे में बताया जाता है जिन्हें एक घर और परिवार की ज़रूरत है। मेघना बोहरा की मानें तो टीम अभी तक 150 से भी अधिक डॉगी, बिल्लियों, खरगोश आदि का सफल रेस्क्यू कर चुकी है। इसके साथ उनके इलाज और खाने की व्यवस्था भी निरंतर रूप से की जा रही है। साथ ही टीम द्वारा जानवरों के अधिकार के विषय में लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।
मेघना बोहरा ने बताया कि आने वाले समय में उनकी टीम लोगों को जानवरों के अधिकार (Awareness about animal rights) के बारे में जागरूक करने वाले और भी इवेंट्स आयोजित करेगी। साथ ही वह एक ऐसी जगह ढूंढ रहे हैं, जहां पर बीमार जानवरों की देखभाल के लिए उन्हें रख सकें। और जहां पर उनका इलाज करने में किसी तरह की कोई परेशानी ना आए।
-सड़क हादसों से जानवरों को बचाने के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर भी तैयार किए
-पूरे हल्द्वानी में चलाई मोबाइल वैक्सीनेशन ड्राइव
-जानवरों को ज़रूरी टीके और समय समय पर मेडिकल चेक अप
-सर्दियों में जानवरों को ठंड से बचाने के लिए बनाए गर्म कपड़े-गद्दे
इस नेक जिम्मेदारी को बाखूबी निभा रहीं मेघना बोहरा की बात करें तो उनकी पढ़ाई भी हल्द्वानी से ही पूरी हुई है। हल्द्वानी से 12वीं करने के बाद उन्होंने चाणक्य लॉ कॉलेज (Chanakya Law College), रुद्रपुर से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की है और अब वर्तमान में वह नैनीताल से एलएलएम की पढ़ाई कर रही हैं। मेघना और चेतना के प्रयास ने आज कहीं ना कहीं पूरे हल्द्वानी को प्रेरित किया है। अब यह हमारा और आपका भी दायित्व है कि हम सहारा जैसे एनजीओ का सहयोग करें और इस नेक कार्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।