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उत्तराखंड में UCC रिपोर्ट आम जनता के लिए हुई जारी, जानिए इससे जुड़ी खास बातें


Uttarakhand news: UCC Bill: उत्तराखंड सरकार ने 12 जुलाई को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। देहरादून के राज्य अतिथि गृह एनेक्सी में समान नागरिक संहिता को लेकर पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता की पूरी रिपोर्ट शुक्रवार को सार्वजनिक कर दी गई है। आम लोगों के लिए शाम से यूसीसी की पूरी रिपोर्ट उपलब्ध हो जाएगी। आम जनता अब इस रिपोर्ट को पढ़ सकती है। आम जनता यूसीसी रिपोर्ट को यूसीसी की वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in/ पर जाकर पढ़ सकती है। तो वहीं उत्तराखंड में आज जारी हुई समान नागरिक संहिता (UCC) समिति की रिपोर्ट पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुशी जताई है। ( UCC report made public today )

ऐसे मिली मंजूरी

उत्तराखंड की धामी सरकार ने 7 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता (UCC) बिल विधानसभा में प्रस्तुत किया था। विधानसभा से पास होने के बाद UCC बिल को सरकार ने राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा था। 11 मार्च 2024 को राष्ट्रपति का अनुमोदन मिलने के बाद राज्य सरकार ने 12 मार्च 2024 को यूसीसी का गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था। इसी के साथ उत्तराखंड ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। 

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चार खंडों में है यूसीसी रिपोर्ट

यूसीसी रिपोर्ट को चार खंडों में तैयार किया गया है। पहला खंड- रिपोर्ट ऑफ द एक्सपर्ट कमेटी, दूसरा खंड- ड्राफ्ट कोड, तीसरा खंड- रिपोर्ट ऑन स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन और चौथा खंड- प्रारूप संहिता पर आधारित है।

यूसीसी में मुख्य प्रावधान

-लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा।

-लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान की तरह सभी अधिकार प्राप्त होंगे।

– समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर लगाम लगेगी।

– किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून प्रभावित नहीं होंगे।

– बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा करेगा यूसीसी।

-विवाह का पंजीकरण होगा अनिवार्य. पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं का नहीं मिलेगा लाभ।

-वैवाहिक दंपति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है, तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का होगा अधिकार।

-पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी, बच्चे के माता के पास ही रहेगी।

-सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार होगा।

-सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।

-मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगेगी।

-संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।

-नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना जाएगा।

-किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार मिलेगा।

-किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया जाएगा।

 

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