हल्द्वानी: किसी भी राज्य के बोर्ड परीक्षा के नतीजे आने के बाद बेटियों की कामयाबी की स्क्रिप्ट तैयार होती है। उसमें उनकी मेहनत और परिश्रम की दास्तां लोगो के सामने पेश होती है। हर कोई समाज में ये बताती है कि लड़कियों को मौत नहीं खुला आसमान देकर देंखों कामयाबी ज्यादा दिन पीछे नहीं रहेगी।
10वीं में काजल प्रजापति, राणा प्रताप इंटर कॉलेज खटिमा (उधमसिंह नगर), 98.04 प्रतिशत टॉपर रहीं। 12वीं में दिव्यांशी राज, आरएलएस चौहान एसवीएमआईसी जसपुर (ऊधमसिंह नगर) 98.04 प्रतिशत टॉपर रहीं। रिजल्ट देने में बागेश्वर जिला बना टॉपर। बागेश्वर जिले से इंटरमीडिएट में 91.99 प्रतिशत और हाईस्कूल में 84.06 प्रतिशत छात्रों ने पास की परीक्षा।
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उत्तराखंड बोर्ड रिजल्ट की कामयाबी की कहानी एक बार फिर बेटियों ने लिखी। इस साल हाईस्कूल में छात्रों का पास प्रतिशत 68.96 और छात्राओं का 80.22 प्रतिशत रहा। इंटर में लड़कियां का पास प्रतिशत 82.03 और लड़कों का 75.08 प्रतिशत रहा। इंटर में रेगुलर छात्रों का रिजल्ट 80.66 प्रतिशत, जबकि प्राइवेट छात्रों का 48.70 प्रतिशत रहा है। हाईस्कूल की बात करें तो 78.83 रेगुलर छात्र पास हुए। जबकि 35.66 प्रतिशत ही प्राइवेट माध्यम से परीक्षा देने वाले छात्र पास हो सके।
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इसी के साथ ऐसी छात्रा के कहानी सामने आ रही है जिसनें अपनी मां के परिश्रम को कामयाबी में बदल दिया। पिता का साथ नहीं रहा तो उसने अपनी मां के साहस को अपनी जीत की कहानी बना दिया। उसकी मां ने उसे दूध बेच कर टॉपर बना दिया। श्रीनगर गढ़वाल की छात्रा मोनिका धनाई ने हाईस्कूल के नतीजों में 24वीं रैंक प्राप्त कर पूरे राज्य में मिसाल कायम की। पूरा गांव अपनी बेटी की कामयाबी में गर्व महसूस कर रहा है। जीजीआईसी श्रीनगर की हाईस्कूल की छात्रा मोनिका के पिता के दो साल पहले मौत हो गई। पिता गांव में मजदूरी किया करते थे।
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सिर से पिता का साया उठने के बाद मां ने उसे साहस दिया और माता-पिता दोनों का प्यार दिया। उसकी मां ने ठान लिया था कि आर्थिक कमजोरी को बेटी की पढ़ाई में आड़े नहीं आने दूंगी।उन्होंने गाय का दूध बेचकर मोनिका को पढ़ाया। मां की मेहनत को कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने के लिए के लिए मोनिका ने भी दिन रात एक कर दिए।
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मां की मेहनत को सफल बनाने के लिए मोनिका ने मन लगाकर पढ़ाई की और 24वीं रैंक प्राप्त कर ली। मोनिका अपनी शिक्षिकाओं सरिता उनियाल, मंजू जुयाल के विशेष सहयोग का जिक्र करना भी नहीं भूलती हैं। मोनिका बताती है कि वह प्रतिदिन दो घंटे सुबह और तीन घंटे सांय प्रतिदिन अध्ययन करती है। मोनिका धनाई भविष्य में सिविल इंजीनियर बनकर देश और समाज की सेवा करना चाहती हैं।