देहरादून: पुलिस महकमे में किसी भी तरह की लापरवाही को बड़ी गंभीरता से लिया जाता है। लापरवाही ना हो, इसके लिए उच्च अधिकारी सजा भी देने से परहेज नहीं करते। मगर एक अनोखी सजा उत्तराखंड में चर्चा का विषय बन रही है। लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने में लापरवाही के बाद एसएसपी ने दरोगा व सिपाहियों को आठ-आठ घंटे शमशान घाट में रहने का आदेश दिया है।
जानकारी के अनुसार रुड़की के रामनगर गली नंबर एक निवासी हरीश चांदना के 20 अक्तूबर को लापता होने के बाद उनकी पत्नी ने गंगनहर कोतवाली में शिकायत की थी। अब 29 अक्तूबर को परिजनों को पता चला था कि सिविल अस्पताल में हरीश चांदना का पोस्टमार्टम हुआ है। मालूम हुआ कि पुलिस ने शव बरामद होने के 72 घंटे बाद लावारिस में अंतिम संस्कार कर दिया था।
एसएसपी अजय सिंह ने जांच कराई तो पुलिसकर्मियों द्वारा शिनाख्त में लापरवाही की बात सामने आई। अब दरोगा नवीन सिंह और सिपाही चेतन सिंह व संतोष को 14 और 15 अक्तूबर को खड़खड़ी श्मशान घाट, सती घाट व चंडीघाट श्मशान पर आठ-आठ घंटे मौजूद रहने और शवों के संस्कार में सहयोग करने की सजा सुनाई है। एसपी स्वप्न किशोर सिंह का कहना है कि भावनाओं को समझाने के लिए ऐसी सजा दी गई है।