
UPSC: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने बताया कि उसने दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने का सिद्धांतगत निर्णय लिया है। आयोग ने कहा कि जैसे ही देशभर के परीक्षा केंद्रों पर आवश्यक तकनीकी ढांचा और परीक्षण व्यवस्था तैयार होगी, यह सुविधा लागू कर दी जाएगी।
यह जानकारी UPSC ने ‘मिशन एक्सेसिबिलिटी’ नामक संस्था द्वारा दायर याचिका पर दाखिल अतिरिक्त हलफनामे में दी। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि सिविल सेवा परीक्षा में नेत्रहीन या कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों को उचित अवसर नहीं मिल रहा।
हलफनामे में UPSC ने कहा कि आयोग ने मामले की विस्तृत समीक्षा की है और दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर की सुविधा शुरू करने का निर्णय लिया है। हालांकि वर्तमान में इसके लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा कि इसे लागू करने में कितना समय लगेगा। UPSC के वकील ने बताया कि योजना अगले वर्ष की परीक्षा चक्र में लागू करने की है। अदालत ने कहा कि सुविधा केवल कुछ केंद्रों तक सीमित नहीं होनी चाहिए वरना उम्मीदवारों को अन्य शहरों में यात्रा करनी पड़ेगी।
UPSC ने बताया कि उसके पास स्वयं का परीक्षा ढांचा नहीं है और यह राज्य सरकारों, जिला प्रशासन और शिक्षण संस्थानों के सहयोग पर निर्भर है। आयोग ने समन्वयक अधिकारियों और मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर आवश्यक तैयारी और सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
इसके अलावा, UPSC ने NIEPVD और उसके क्षेत्रीय केंद्रों के कंप्यूटर लैब का उपयोग स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर के माध्यम से परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों के लिए करने का अनुरोध किया है। DEPwD ने भी इन केंद्रों को दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए समर्पित करने की इच्छा जताई है…जबकि सॉफ्टवेयर, परीक्षा संचालन और सुरक्षा की जिम्मेदारी UPSC की ही रहेगी।
UPSC ने स्पष्ट किया कि सिविल सेवा परीक्षा नियम 2025 में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है और स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर के उपयोग की प्रक्रिया के लिए आयोग तैयार है।






